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स्कूल कंपाउंड में कई लोग जमा थे. ट्रस्टी भी था. तभी वहां एक तिलकधारी जने ने कहा, ‘‘यह पीपल का पेड़ काट कर तुम ने ब्रह्म हत्या का पाप भी किया है. और ट्री कटिंग कानून का उल्लंघन भी किया है.’’

‘‘जी नहीं, पेड़ काटे बिना कोई चारा नहीं था और इंस्पैक्टर ने कह दिया था कि आप काम शुरू कर लो, वे 2 दिन में अनुमति दे देंगे.’’

‘‘बको मत, कहां तो भगवान का मंदिर बनवाना चाहिए था, बन रहा है वेश्या खाना? महादेव को मुंबई से यहां आने पर ऐश करने को भी तो कुछ चाहिए. उसे लड़कियों को खेलतेदेखते आनंद आएगा न.’’

भाई का नाम सुन कर सहदेव एकदम आपे से बाहर हो गया और उस पर ?ापट पड़ा.

फिर क्या था, सारे लोग सहदेव पर टूट पड़े और मारतेमारते उस को बेहोश कर दिया.

इसी बीच मालती को खबर लगी कि सहदेव पर हमला कर दिया गया. वह उस जगह भागीभागी आई और भीड़ को चीरती हुई सहदेव के पास पहुंची. देखा कि अभी सांस चल रही है. उस ने ललकार के चाचा से कहा, ‘‘चाचा, आज पहली बार मैं घर के बाहर, सारे लोगों के सामने बोल रही हूं. पता नहीं कि ये बचेंगे या नहीं. लेकिन आप से इतना कहे देती हूं कि मेरा सुहाग सलामत रहे या लुट जाए, इस विद्यालय में स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स बन कर ही रहेगा.’’

वह सहदेव को अस्पताल ले गई. उस ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने से इनकार किया. उस ने कहा, ‘‘अगर नैतिकता बची है तो चाचा को खुद अपनी गलती महसूस होगी.’’

इस घटना से सोसाइटी में 2 दल हो गए. एक प्रैसिडैंट समर्थक और दूसरा स्पोर्ट्स कौंप्लैक्स का समर्थक.

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