Online Hindi Story : नेहा (बदला हुआ नाम, न भी बदला हो तो कहना ऐसा ही पड़ता है, कोर्ट की रूलिंग आड़े आती है) ने तय किया कि वो भी इंटरनेट सीखे. जरूरी था. बाकि सहेलियां ईमेल का जिक्र किया करती थीं. एमएसएन, याहू के किस्से सुनाया करती थीं. जब भी कहीं उसके सर्किल में कोई याहू मैसेंजर या रैडिफ चैट की बातें करता, वो कोफ्त खाती. आखिर उसे ये सब क्यों नहीं पता.

नेहा ने तय किया वो भी इंटरनेट सीखेगी. उसका भी ऑरकुट पर अकाउंट होगा. सन् 2000 के शुरुआती समय में साईबर कैफे में जाकर एक बंद से कैबिन में 80 रुपए घंटा, 50 रुपए आधा घंटा के हिसाब से इंटरनेट सर्फिंग करना शगल हो चला था. नेहा ने कॉलेज के पास वाले साइबर कैफे में 50 रुपए दिए और आधे घंटे के लिए सिस्टम पर जा बैठी. इंटरनेट एक्सप्लोरर खुला हुआ था. पर करना क्या है उसे कुछ समझ नहीं आया. आज का बच्चा बच्चा कह सकता है कि जो न समझ आए, गूगल से पूछलो.. या यू ट्यूब पर देख लो कि हाऊ टू यूज इंटरनेट फर्स्ट टाइम. पर वो वक्त ऐसा न था. जिसने कभी इंटरनेट नहीं चलाया हो कम से कम एक बार तो कोई बताने वाला होना चाहिए न..

नेहा को लगा, 50 रुपए बर्बाद हो गए. उसे कुछ परेशान होता देख, साइबर कैफे मालिक ने कहा- 'कोई दिक्कत तो नहीं?' तकरीबन 24-25 साल के इस गुड लुकिंग गाय को नेहा ने बताया, 'इंटरनेट सीखना है'. राहुल (सायबर कैफे ऑनर) ने कहा- 'बस इतनी सी बात. दोपहर 2 से 2.30 नीचे बेसमेंट में आ जाओ. सात दिन की क्लास है. 'और फीस' नेहा ने सवाल किया. '3 हजार रुपए है, पर आपको 50 परसेंट डिस्काउंट.'

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...