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आहान और अरविंद चौंक गए, सामने कुछ सीनियर के साथ अरविंद के रूममेट्स मोहित और ऋषभ थे. अरविंद कुछ कहता, इस से पहले ही एक सीनियर ने कहा-

"अबे साले, तू अभी तक पढ़ रहा है. तू तो कोटा वाला है न बे. तुझे काहे की चिंता, तू तो सरकारी दामाद है. तुझे तो नौकरी ऐसे ही मिल जाएगी, फिर क्यों इतना पढ़ता है, साले. चल आ जा, आज तुझे हम दूसरी दुनिया की सैर कराते हैं." यह कहते हुए उस ने अपने पौकेट से एक पैकेट निकाला. तभी दूसरा सीनियर आहान को देख उसे बिस्तर पर से उठाते हुए बोला-

"अबे साले आहान, तू यहां क्या कर रहा है बे, तेरा रूम तो बगल में है?"

अरविंद थोड़ा डरते हुए बोला- "भैया, इसे अपने रूम में डर लग रहा था, इसलिए ये यहां आ गया."

वह हंसता हुआ बोला- "अच्छा, इसे डर लग रहा था और तुझे डर नहीं लगता क्या?"

अरविंद ने सिर झुका लिया. तभी वहां 2 लड़कियां भी आ गईं. उन में से एक लड़की उस सीनियर, जो अरविंद को धमका रहा था, को हजार रुपए का नोट देती हुई बोली, “ये लो रुपए, अब दो हमारा सामान."

उन लड़कियों से रुपए ले कर उस सीनियर ने उन्हें एक पैकेट दे दिया. यह कोई साधारण या आम पैकेट नहीं, बल्कि ड्रग्स का पैकेट था जिसे ले कर लड़कियां वहां से चली गईं. यह सब दृश्य देख कर आहान को समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगा कि अरविंद इतना परेशान और डरा हुआ क्यों रहता है और वह बारबार यह क्यों कहता है कि वह अपने रूम में पढ़ नहीं पा रहा है.

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