Top 10 safalta ki Hindi kahaniyan : सरिता डिजिटल लाया है लेटेस्ट सफ़लता की कहानियां . पढ़िए वो कहानियां जो आपको सफल बना सकती हैं. साथ ही आपके जीवन में लाएंगी सफलता और खुशी के नए आयाम. इसके अलावा सरिता की हिंदी कहानियां मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने का बहुत ही अच्छा संदेश भी देती हैं. जिनसे सीख लेकर लोग उन्हें, अपने जीवन में भी अपना सकता है. इससे उनका आत्मविश्वास प्रबल होगा. साथ ही अपने सपनों को पूरा करने का हौसला मिलेगा.
Journey to Success : विश्व को बदल देने वाले ये हिंदी सफलता के किस्से
1. मजबूत औरत : आत्मसम्मान के साथ जीती एक मां की कहानी
ऊषा ने जैसे ही बस में चढ़ कर अपनी सीट पर बैग रखा, मुश्किल से एकदो मिनट लगे और बस रवाना हो गई. चालक के ठीक पीछे वाली सीट पर ऊषा बैठी थी. यह मजेदार खिड़की वाली सीट, अकेली ऊषा और पीहर जाने वाली बस. यों तो इतना ही बहुत था कि उस का मन आनंदित होता रहता पर अचानक उस की गोद मे एक फूल आ कर गिरा. खिड़की से फूल यहां कैसे आया, वह इतना सोचती या न सोचती, उस ने गौर से फूल देखा तो बुदबुदाई, ‘ओह, चंपा का फूल’.
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2. माई दादू : बड़ों की सूझबूझ कैसे आती है लोगों के काम ?
‘‘हाय माई स्वीटी, दादू! आज आप इतना डल कैसे दिख रही हो? मैं तो मूड बना कर आया था आप के साथ बैडमिंटन खेलूंगा, लेकिन आप तो कुछ परेशान दिख रही हो.’’ ‘‘अरे बेटा, कुश, बस तेरी इस लाड़ली बहन कुहु की फिक्र हो रही है. ये कुहु अंशुल के साथ अपने रिश्ते में इतना आगे बढ़ चुकी है पर अंशुल के पेरैंट्स इस रिश्ते से खुश नहीं. अब जब तक लड़के के मांबाप खुशीखुशी बहू को अपनाने के लिए राजी नहीं होते तो भला कोई रिश्ता अंजाम तक कैसे पहुंचेगा. मुझे तो बस यही फिक्र खाए जा रही है. मेरी तो कल्पना से परे है कि आज के जमाने में भी किसी की इतनी पिछड़ी सोच हो सकती है. आजकल जाति में ऊंचनीच भला कौन सोचता है. वे ऊंचे गोत्र वाले ब्राह्मण हैं तो हम भी कोई नीची जात के तो नहीं.’’
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3. कैप्टन नीरजा गुप्ता
लेह से मेरी नई पोस्टिंग श्रीनगर की एकवर्कशौप में हुई थी. मैं श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरीतो मुझे वीआईपी लाउंज में पहुंच कर यूनिट केएडजूडेंट कैप्टन नसीर एहमद को फोन करना था, हालांकि, अधिकारिक तौर पर उन को मेरे आने की सूचनाथी. मैं ने नसीर साहब को फोन किया, ‘सर, गुडमौर्निंग. मैं कैप्टन नीरजा गुप्ता बोल रही हूंश्रीनगर ऐयरपोर्ट से. इस समय मैं वीआईपी लाउंज मेंहूं.’ ‘गुडमौर्निग, कैप्टन नीरजा. श्रीनगर में आप कास्वागत है. आप वीआईपी लाउंज में ही बैठें. मैंएस्कार्टड गाड़ी भेज रहा हूं. आधा घंटा लग जाएगा. तब तक आप वीआईपी लाउंज में रिफ्रैशमैंट कालुत्फ उठाएं.’ ‘ओके, थैंकस, सर.’ मुझे लेह से ही वीआईपी लाउंज का कूपन मिलगया था. मैं ने ब्रैड मक्खन लिया और खाने लगी.
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4. फरिश्ता : कैसे बदली दुर्गेश्वरी देवी की तकदीर ?
“सर, कोई बहुत बड़े वकील साहब आप से मिलना चाहते हैं,” वार्ड बौय गणपत ने दरवाजा फटाक से खोलते हुए उत्सुकता व उत्कंठा से हांफते हुए कहा और उस की सांसें भी इस कारण फूली हुई थीं. मैं ने हाल ही मैं खिड़की से देखा था कि कोई प्राथमिक स्वास्थय केंद्र के सामने बरगद के पेड़ के नीचे बड़ी व लग्जरी गाड़ी मर्सिडीज पार्क कर रहा था. शायद इस बड़ी गाड़ी के कारण गणपत नैसर्गिक रुप से गाड़ी में आने वाले व्यक्ति को बड़ा वकील मान रहा था. मैं समझ नहीं पा रहा था कि कोई बड़ा सा वकील मुझ से क्यों मिलना चाहता है? सामान्यतया सरकारी अस्पताल में कभीकभार नसबंदी केस बिगड़ने पर मरीज के रिश्तेदार मुआवजे के लिए कोर्ट केस करते हैं. पर उस के लिए सामान्यतया नोटिस मरीज के रिश्तेदार देने आते हैं.
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5. अदला-बदली : जीवन को मधुर बनाने की कला अलका कैसे सीख गई?
मेरे पति राजीव के अच्छे स्वभाव की परिचित और रिश्तेदार सभी खूब तारीफ करते हैं. उन सब का कहना है कि राजीव बड़ी से बड़ी समस्या के सामने भी उलझन, चिढ़, गुस्से और परेशानी का शिकार नहीं बनते. उन की समझदारी और सहनशीलता के सब कायल हैं. राजीव के स्वभाव की यह खूबी मेरा तो बहुत खून जलाती है. मैं अपनी विवाहित जिंदगी के 8 साल के अनुभवों के आधार पर उन्हें संवेदनशील, समझदार और परिपक्व कतई नहीं मानती.
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6. लैंडर : क्या आकांक्षी अपने सपने की उड़ान भरने में कामयाब हो पाई?
एक हलचल भरे महानगर के शांत कोनों में, शहर की रोशनी की चमक और जीवन की निरंतर खलबली से दूर एक विशाल गोदाम सा दिखने वाला क्षेत्र था. दूर से ही सुरक्षा बाड़ा शुरू हो जाता था और बड़ेबड़े अक्षरों में उस के बाहर लिखा था, “प्रवेश वर्जित”. सिर्फ अंदर काम करने वाले वैज्ञानिकों और अभियांत्रिकों को ही पता था कि इस विशाल गोदाम के भीतर क्या चल रहा है. आकांक्षी नाम की एक युवती अंतरिक्ष वैज्ञानिक का पदभार यहां संभाले हुए थी. उस का दिल अंतरिक्ष को समर्पित हो चुका था, और आत्मा ब्रह्मांड के अज्ञात रहस्यों से घिर गई थी. उस के सपने उसे पृथ्वी की सीमाओं से बहुत दूर ले गए थे. अपनी हर सांस के साथ, वह चंद्रमा की मिट्टी की सुगंध लेती थी और जब चाहे तब आंखें मूंद कर अंतरिक्ष की भारहीनता को महसूस करती थी.
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7. सहेली की सीख- प्रज्ञा पल्लवी की मां को देखकर क्या सोच रही थी?
पल्लवी और प्रज्ञा की कुछ दिन पहले ही मित्रता हुई थी. एक दिन स्कूल से घर लौटते समय प्रज्ञा ने पल्लवी को अपने घर चलने के लिए कहा तो पल्लवी अपनी असमर्थता जताती हुई बोली, ‘‘नहीं, आज नहीं. मैं फिर किसी दिन आऊंगी.’’ ‘‘आज क्यों नहीं? तुम्हें आज ही चलना होगा,’’ प्रज्ञा जिद करती हुई आगे बोली, ‘‘हमारे गराज में आज सुबह ही क्रोकोडायल ने 3 बच्चे दिए हैं.’’ क्रोकोडायल प्रज्ञा की पालतू पामेरियन कुतिया का नाम था. ‘‘2 सुंदरसुंदर सफेद और एक काला चितकबरा है,’’ प्रज्ञा हाथों को नचाते हुए पिल्लों की सुंदरता का वर्णन करने लगी. ‘‘अच्छा, तब तो मैं उन्हें देखने कल जरूर आऊंगी.’’
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8. बलात्कार : बहुत हुआ अब और नहीं
जब पुलिस की जीप एक ढाबे के आगे आ कर रुकी, तो अब्दुल रहीम चौंक गया. पिछले 20-22 सालों से वह इस ढाबे को चला रहा था, पर पुलिस कभी नहीं आई थी. सो, डर से वह सहम गया. उसे और हैरानी हुई, जब जीप से एक बड़ी पुलिस अफसर उतरीं. ‘शायद कहीं का रास्ता पूछ रही होंगी’, यह सोचते हुए अब्दुल रहीम अपनी कुरसी से उठ कर खड़ा हो गया कि साथ आए थानेदार ने पूछा, ‘‘अब्दुल रहीम आप का ही नाम है? हमारी साहब को आप से कुछ पूछताछ करनी है. वे किसी एकांत जगह बैठना चाहती हैं.’’
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9. एक ब्रौड माइंडेड अंकल : नए नजरिए से रिश्तो को संभालते पिता की कहानी
हमारे महल्ले में एक अंकल रहते हैं. वैसे तो हर महल्ले में कई प्रकार के अंकल पाए जाते हैं, पर हमारे महल्ले के यह अंकल बाकी अंकलों से काफी अलग हैं. दरअसल, वे महल्ले में सामान्यतः पाए जाने वाले अंकलों की तुलना में कुछ ज्यादा ही ब्रौड माइंडेड हैं. वे इतने ज्यादा खुले विचारों के हैं कि ट्रूकौलर पर उन का फोन नंबर भी ‘ब्रौड माइंडेड अंकल’ के नाम से दिखता है. वे मानते हैं कि इस नई पीढ़ी के साथ मातापिता को दोस्तों की तरह पेश आना चाहिए. अंकल का अपने बच्चों के साथ भी काफी दोस्ताना व्यवहार है. वे लड़के और लड़की में जरा भी फर्क नहीं करते हैं. अपने बेटों और बेटी दोनों की बराबर नियम से कुटाई करते हैं. मजाल है, जो कोई बच्चा कह दे कि दूसरा बच्चा उस से कम क्यों पिट रहा है.
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10. समय चक्र : बिल्लू भैया ने क्या लिखा था पत्र में?
शिमला अब केवल 5 किलोमीटर दूर था…यद्यपि पहाड़ी घुमाव- दार रास्ते की चढ़ाई पर बस की गति बेहद धीमी हो गई थी…फिर भी मेरा मन कल्पनाओं की उड़ान भरता जाने कितना आगे उड़ा जा रहा था. कैसे लगते होंगे बिल्लू भैया? जो घर हमेशा रिश्तेदारों से भरा रहता था…उस में अब केवल 2 लोग रहते हैं…अब वह कितना सूना व वीरान लगता होगा, इस की कल्पना करना भी मेरे लिए बेहद पीड़ादायक था. अब लग रहा था कि क्यों यहां आई और जब घर को देखूंगी तो कैसे सह पाऊंगी?
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