उस समय मेरे साथ पत्नी नहीं थी, इसलिए मैं ने औरत को गौर से देखा. सचमुच वह बहुत सुंदर थी. मैं कुछ कहता, उस के पहले ही उस ने झुक कर मेरे पैर पकड़ लिए.
‘‘क्या बात है भई, तुम बताती क्यों नहीं?’’ मैं ने उसे बांहों से पकड़ कर खड़ा करने की कोशिश करते हुए कहा. उस की बांहें बहुत कोमल थीं. मुझे सिहरन सी हुई. मैं ने कहा, ‘‘मैं औफिस जा रहा हूं, जो कुछ भी कहना है, जल्दी कहो.’’
‘‘साहब, हम कई दिनों से आप के औफिस के चक्कर लगा रहे हैं.’’ औरत के बजाए उस के साथ खड़े लड़के ने कहा, ‘‘लेकिन आप का चपरासी...’’
‘‘बात क्या है, बताओ. चपरासी की छोड़ो.’’ मैं ने लड़के की बात काटते हुए कहा. लेकिन मेरी नजरें औरत के चेहरे पर ही जमी थीं.
‘‘इन के पति...’’ लड़के ने कहा, ‘‘जो रिश्ते में मेरे मामा लगते हैं.’’
‘‘तुम रिश्ते की बात छोड़ो, काम की बात करो.’’ मैं ने डांटने वाले अंदाज में कहा.
‘‘जी, इन के पति यानी मेरे मामा को पुलिस ने बिना किसी अपराध के पकड़ लिया है. उन्हीं को छुड़ाने के लिए यह कई दिनों से आप के पास आ रही हैं.’’ लड़के ने जल्दी से कहा, ‘‘आप इन के पति को छुड़वा दीजिए साहब, इन का और कोई नहीं है. मेरा मामा बहुत ही सीधासादा आदमी है. आज तक उस ने कोई गलत काम नहीं किया. जहां हंगामा हुआ था, वहां वह शरबत का ठेला लगाता था. हंगामा करने वाले तो भाग गए, पुलिस मेरे मामा को पकड़ ले गई. अब वे मामा को छोड़ने के लिए 5 हजार रुपए मांग रहे हैं. हमारे पास इतने रुपए नहीं हैं.’’
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