लेखक - नितेंद्र सागर
Hindi Story in Hindi : चंद्र का खत पढ़ कर आराधना को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. कैसे चंद्र के बेटे को अपनाया जाए, क्योंकि अब फैसला आराधना के पति के हाथ में था. जिंदगी बड़ी बेरहम होती है. जिस बात को ले कर उसे आप को परेशान करना हो, जी भर कर परेशान करती है. जिन लमहों को आप भूलने की कोशिश कर रहे हों, बारबार आप के सामने सिर उठा कर खड़े हो जाते हैं. सम?ाते का नाम जीवन है. सम?ाता और जीवन दो नहीं, एक ही चीज के पर्यायवाची शब्द हैं. देखनेसुनने में दोनों अलगअलग लगते हैं. स्कूल के पते पर खत आया आराधना मैडम का. आश्चर्य हुआ उन को कि इस मोबाइल के जमाने में खत भी लिख सकता है कोई. अपना पता देखने के बाद जब भेजने वाले का नाम देखा तो आश्चर्यचकित हो कर रह गई. वह भेजने वाला कोई चंद्र था. खत का मजमून इस प्रकार था-
‘मेरा अंतिम समय निकट है, शायद जब तक तुम्हें यह खत मिले, मैं इस दुनिया में न रहूं. हो सके तो मेरे इकलौते बेटे रोहन को अपना लेना.
‘आप का चंद्र.’
खत पढ़ कर आराधना के पैरों तले जमीन खिसक गई. बीता हुआ कल अचानक वर्तमान में आ कर खड़ा हो गया. जो सोचा नहीं था उस ने वह हो गया. ‘ओ चंद्र, ओ चंद्र,’ बुदबुदाई वह. चंद्र जिसे तनमन से चाहा था, जिस के सिवा किसी और की चाह नहीं थी, दुनिया में जिस के बगैर एक पल रहना मुश्किल था उस का खत. उस का दोस्त, उस का प्रेम, उस का साथी, उस का सबकुछ. चंद्र वक्त की आंधी में कैसे खो गया था. साथ में पढ़ते थे दोनों. चंद्र आराधना को अपना सबकुछ मानता था. मगर आराधना की हिम्मत नहीं हो पाई बगावत करने की. पापा ने जब आनंद से शादी करने को बोला तो अपने ही मकड़ी के जाल में उल?ा हुई आराधना इनकार न कर सकी. देखने में सुंदर और पढ़ने में होशियार आराधना के पिता उसे आगे नहीं पढ़ाना चाहते थे. आराधना पढ़ना चाहती थी.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन





