"रोजी, तुम इस बात का जिक्र किसी से न करना. तुम्हें मेरी कसम."
"नहीं करूंगी दीदी. तुम भी वादा करो कि इन सर से नहीं पढ़ोगी और अपना सारा ध्यान पढ़ाई पर लगाओगी," अनपढ़ रोजी बोली तो स्वरा उस का मुंह देखने लगी.
"ठीक है, आगे परीक्षा है. अब यह यहां नहीं आएंगे."
रोजी ने अपनी बात रखी और इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया. मनीष का घर आना बंद हो गया. मम्मी के बहुत कहने पर भी स्वरा फिर उन से ट्यूशन पढ़ने के लिए तैयार नहीं हुई. रोजी के कारण उस ने कच्ची उम्र में बहकने से पहले अपनेआप को संभाल लिया और अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया. उसे पढ़ता देख रोजी को बड़ा अच्छा लगता. वह अकसर कमरे में झाड़ू लगाते हुए उस से बतियाने लगती,"दीदी, तुम तो बहुत पढ़ाई करती हो. कैसे पढ़ लेती हो इतनी बड़ीबड़ी किताबें?"
"पढ़नी पड़ती हैं रोजी. कुछ बनने के लिए मेहनत तो करनी ही होती है."
"मुझे तो पढ़नालिखना आता नहीं है. अम्मां कहती हैं कि छोटी उम्र में घर का काम सीख लेगी तो बड़ी हो कर अच्छी कमाई करने लगेगी. हमें तो यही काम आता है। इस के अलावा कुछ नहीं, "झाड़ू लगातेलगाते वह बतियाती जाती लेकिन स्वरा उस की बातों पर ध्यान न देती और अपनी पढ़ाई पर लगी रहती.
रोजी अच्छी तरह जानती थी कि स्वरा को उस की बातों में कोई रुचि नहीं है फिर भी न जाने क्यों उसे देखते ही रोजी का मन उस से बात करने के लिए मचल जाता.
रोजी कुछ दिन से काम पर नहीं आ रही थी. उस का रिश्ता पक्का हो गया था। मन्नू ने ही यह खबर आ कर मम्मी को सुनाई थी. उन की बात सुन कर मम्मी को खुशी के साथ थोड़ी परेशानी भी हुई,"मन्नू, अभी तो रोजी केवल 16 साल की है. तुम ने इतनी कम उम्र में उस का रिश्ता पक्का कर दिया..."