"ठीक है, तुम पीजी में रह लेना, सैटरडे को मैं तुम्हें अपने फ्लैट में शिफ्ट करवा लूंगी, यानी 3 दिन बाद. संडे मेरा औफ होगा, हम साथ में एंजौय करेंगे."
बिना किसी हंगामे के सौम्या अनाया के इस 2 कमरे वाले किराए के फ्लैट में आ गई थी. यह फ्लैट सौम्या के कालेज के पास ही था, और तीसरे माले पर लगभग सभी सुविधा से पूर्ण था.
इस परिवार की नई जेनेरेशन की एक खासियत थी कि कोई भी एक कुछ निर्णय लेता तो अन्य भाईबहनों को भी आपस की बातचीत में बताया जाता. और सभी भाईबहन सही निर्णय का बिना भेद के समर्थन करते. इस बार भी ऐसा ही हुआ. इधर सौम्या भी घर में बिना बताए रह न सकी. और इस से एक चीज यह अच्छी नहीं हुई कि मितेश को जब यह बात पता चली, तो वे पशोपेश में पड़ गए.
अनाया का सौम्या के प्रति प्रेम देख जहां मितेश गदगद हो गए, वहीं बड़े भाई के न चाहते उन की बेटी भाई की बेटी के पास रहे, यह भी मितेश के लिए तनाव बढ़ाने वाली बात हो गई.
मितेश ने अरुणेश से खुल कर कह दिया कि आप अपनी बेटी से बात कर लो, मेरी इच्छा नहीं है कि आप की बेटी आप की बातों को नजरंदाज कर मेरी बेटी को अपने पास रखे."
अब इस के बाद ग्वालियर में अरुणेश के घर जो भी खिचड़ी तैयार हुई, उस का सार यह निकला कि शीना ने बेटी अनाया को फोन पर काफी सुनाया, "खुद कमाने लगी हो, तो मांबाप तुम्हारे सामने कुछ हैं ही नहीं. जब तुम्हारे पापा ने चाचा को मना कर दिया था, तो कैसे उठा लाई तुम उसे?"