कमल के प्यार में पागल माया की आंखों पर ग्लैमर, दौलत, उन्मुकता का सुरूर छाया था. इन सब के आगे पति, बच्चा, गृहस्थी सब बौने थे. लेकिन उन्माद का यह नशा जब उतरा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
मैं अकेली हूं पर मोहित की यादें अकसर ही मु?ा से बातें करने आ जाया करती हैं. लगता जैसे मोहित आते ही मु?ो चिढ़ाने लगते हैं. वास्तव में तुम्हारी हिम्मत न होती थी हकीकत की जमीन पर मु?ो चिढ़ाने की, लेकिन खयालों में तुम कोई मौका न छोड़ते.
मैं खयालों में ही रह जाती हूं, जवाब नहीं दे पाती तुम्हें. पता नहीं पिछले कुछ दिनों से जाने क्यों मु?ो रहरह कर कमल की भी याद आ रही है. मै जानती हूं वह कभी नहीं आएगा. अगर आया तो भी उस के लिए मेरी जिंदगी में कोई जगह नहीं है. आखिर मैं ने ही तो छोड़ा था उसे, फिर क्यों याद कर रही हूं मैं उस को. मैं खुश हूं अपनी जिंदगी में. क्या फर्क पड़ता है किसी के जाने से? कौन सी मैं ने मोहब्बत ही की थी उस से. छल... हां, छल ही तो किया था उस ने मु?ा से और खुद से. फिर क्यों याद बन कर सता रहा है मु?ो. शायद असीम और अभिलाषा के एकदूसरे के प्रति लगन के कारण कमल का स्मरण हो आया है. मु?ो अच्छी तरह से याद है. मैं ही उस के प्रति आकर्षित हुई थी पहले. कमल गोरा, लंबा आकर्षक पुरुष था. वह शादीशुदा नहीं था. मेरे पति मोहित पहले दिन ही कमल से मिलवाते हुए बता चुके थे. मु?ो काफी दिलकश इंसान लगा था. खूबी होगी कुछ उस में.