Romantic Story : पतिपत्नी का साथ जीवनभर का एक वादा है, जिस में हर भाव छिपा होता है. भारती और प्रेम के बीच चाहे कितनी ही लड़ाइयां होती थीं लेकिन जब जरूरत पड़ी तो दोनों हर दर्द और परेशानी को मिल कर झेलने को तैयार थे.

भारती और प्रेम के बीच महसंग्राम फिर से जारी था. आएदिन दोनों का झगड़ा महिलाओं के उन मुश्किल दिनों के जैसा हो गया जो हर महीने आ ही धमकते. रजोनिवृत्ति की संभावना दूरदूर तक दिखाई नहीं देती थी. झगड़ा ऐसा कि लगता मानो अब दोनों एकदूसरे को शारीरिक हानि पहुंचा कर ही दम लेंगे. शब्दों के बाण इतने तीखे कि उस से होने वाले घाव कभी न भर सकें.

तभी भारती के मोबाइल फोन की घंटी बजी. भारती ने देखा और नजरअंदाज कर दिया. घंटी फिर बजी. इस बार भारती ने फोन रिसीव कर लिया. भारती मोबाइल फोन पर ऐसे बात करने लगी मानो घर में अभी कुछ हुआ ही नहीं. चंद मिनट पहले की तीखी वाणी मोबाइल फोन पर किसी दूसरे से बात करने में मधुर हो गई. अगर अभी कोई घर में दाखिल होता तो उसे कुछ देर पहले की स्थिति झुठी लगती.

भारती पूरी दुनिया वालों से अच्छे से बात करती सिवा प्रेम के, प्रतिक्रिया में प्रेम का भी वही रवैया. एकदूसरे से बात करने की जब बारी आती तो ऐसा लगता मानो दोनों के मन में ढेरों गुस्सा भरा पड़ा है. न तो सीधे सवाल निकल कर आते और न ही सीधे जवाब.

बड़े होते 2 बच्चों की जिम्मेदारियों ने दोनों के रिश्तों में इतनी नीरसता ला दी कि लगता ही नहीं कि दोनों ने कभी साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं. भारती बच्चों की ख्वाहिशों को पूरी करने में ऐसी उल?ा कि उसे प्रेम के पसंदनापसंद का खयाल ही नहीं रहा. दोनों एक अच्छे मांबाप तो बन गए मगर इस चक्कर में एक अच्छे पतिपत्नी कहीं दफन हो कर रह गए.

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