दिल्ली जैसे बड़े शहर के होस्टल में छोटी जगह से आई नेहा को अभी कुछ ही दिन हुए थे, पर वह यह देख कर हैरान थी कि कैसे कुछ लड़कियां इस अनजान शहर में बौयफ्रैंड बनाने में माहिर हो गई थीं. उस ने तो अपने आसपास इस तरह का माहौल कम ही देखा था। रातरात भर मोबाइल पर लगे रहने और सुबह देर से उठने के कारण औफिस देर से पहुंचना उन की आदत सो हो गई थी. नेहा भी नौकरी के सिलसिले में अपने गांव से दूर यहां दिल्ली के एक होस्टल में रह रही थी। वह पढाई में तेज थी और घर वालों ने भी पढ़ाई में उस का साथ दिया था, जिस कारण उसे दिल्ली की एक मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छी जौब मिली.

सुबह से तो होस्टल खाली ही रहता पर जैसेजैसे दिन ढलता सभी एकएक कर के वापस आने लगतीं और सभी पूरे दिनभर की गाथा सुनाती रहतीं. आज भी नेहा अपनी रूम पार्टनर पूजा के साथ छत पर बैठी चाय पी रही थी कि तभी एक लड़की फोन पर बात करतेकरते रोने लगी, शायद अपने बौयफ्रैंड से बात कर रही थी जो उस से ब्रेकअप की धमकी दे रहा था.

“हर किसी ऐरेगैरे से दिल लगाओगी तो ऐसा ही होगा,” हलका सा डांटते हुए पूजा ने उसे समझाया. सच बात तो यह थी कि यह सब उन का टाइमपास था, पर उन में से कुछ ऐसी भी थीं जिन को सच में किसी से सच्चा प्यार था और उन के प्यार में कोई दिखावा नहीं था.

इन सब बातों में खोई नेहा को अचानक ही पूजा ने छेड़ा,"कहां खोई हो मैडमजी, आप को भी किसी अपने की याद आ रही है क्या? तुम भी बातें कर लो..."

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