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“बहुत कंफ्यूजिंग है, सर,” इला बोली. इला इस ग्रुप की सब से ज्यादा इंटैलीजैंट लड़की मानी जाती थी, पढ़ाई में भी उस से कोई टक्कर नहीं ले पाता था.

“अरे, जब इस जैसी जीनियस को प्यार का सब्जैक्ट कंफ्यूजिंग लग रहा है तो हमारी बिसात ही क्या,” रतन ने मेज पर रखे चाय के कप को उठाते हुए कहा, “इतने सूक्ष्म ज्ञान के बाद पकौड़ों की तलब होने लगी है.” प्रो. शास्त्री की संगति व इंफ्लूएंस में उन के स्टूडैंट्स की हिंदी भी बहुत अच्छी हो गई थी. बहुत चुनचुन कर वे शब्दों का प्रयोग कर अपनी धाक जमाने की कोशिश किया करते थे.

“और ये गरमागरम पकौड़े हाजिर हैं,” रीतिका ने पकौड़ों की प्लेट मेज पर रखते हुए कहा.

“वाह दीदी, आप का जवाब नहीं,” नैना ने झट से एक पकौड़ा अपने मुंह में डालते हुए कहा. नैना बहुत ही चुलबुली किस्म की लड़की थी. बहुत ही धनी परिवार से होने की वजह से थोड़ा दंभ भी कभीकभी झलक जाता था. हमेशा नए डिजाइन के कपड़े पहनती थी और महंगी चीजें खरीदने का शौक था. पढ़ाई में एवरेज थी, पर नाटकों और अन्य गतिविधियों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी. “मन करता है कि आप के हाथ चूम लूं,” नैना के नाटकीय अंदाज पर रीतिका ने प्यार से उस के गाल पर हलकी सी चपत लगाई.

“बहुत देर हो चुकी है, अब तुम लोग घर जाओ. कल सिर्फ रिहर्सल करेंगे. बहुत कम दिन हैं हमारे पास. यह नाटक सब के लिए महत्त्वपूर्ण होगा, क्योंकि पहली बार तुम एक बड़े मंच पर इसे प्रस्तुत करोगे.” प्रो. शास्त्री और रीतिका दीदी से विदा ले सब चले गए.

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