उड़ानों का कद
कुछ और हो जाता ऊंचा
गर पंछियों को मिल जाते
दोचार और पंख
इंतजार की घडि़यां
सिमट जातीं विरहन की
गर आंखों में उतर आती
तसवीर प्यार की
सन्नाटे तन्हाइयों के भी
चटक जाते पल भर में
गर खामोशियों को|
आवाज कोई मिली होती
सहरा भी बन जाता
गुलिस्तां किसी दिन
बूंदें सावन की गर
खुल कर बरस गई होतीं
दर्द से यों न गुजरतीं
कैस रांझा की कहानियां
गर प्यार को उन के\
अंजाम तक पहुंचा दिया होता
अफसोस हो न सके
काम कुछ सोचे हुए पूरे
कुछ ख्वाब ऐसे थे
जो रह गए अधूरे.
- वंदना गोयल
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
(1 साल)
USD48USD10

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
(1 साल)
USD100USD79

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और