किसी भी हाल में दुनिया जीने नहीं देगी
कहेगी चलते चलो, रास्ता नहीं देगी
ये लड़तेलड़ते दियों की तरह बुझेगी मगर
तुम्हारी आंखें, हमें जीने नहीं देंगी

हमें ही कूद के दीवारें पार करनी हैं
ये अगली पीढ़ी हमें, रास्ता नहीं देगी
गुलों से पूछ लो शायद बात बन जाए
ये खुशबू है, अपना पता नहीं देगी

यह आसमां तो हमें कब गिरा दे, क्या मालूम
जमीं तो मां है, कभी वह दगा नहीं देगी.

– जिगर जोशी

 

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