जो त्याग देते हैं

वे राम होते हैं

और जो त्याग दी जाती हैं

वे सीताएं कहलाती हैं

रोतीकलपती, अपने ईष्ट को

पूज्य मानती, रखती हैं व्रत

उस की लंबी उम्र के लिए

सूखे हुए मुंह,

अधूरी इच्छाओं को ले कर

जीती हुई ये सीताएं

देवी कहलाती हैं

और इन के राम

वे तो राजा होते हैं

तख्तोताज पर विराजमान

राजा करते हैं न्याय

न्याय में छिपे अन्याय को

कौन देखे कौन कहे

न जाने कितनी सीताओं का

जीवन नष्ट करने की सजाएं

इन रामों को कौन दे.

        

– गीता यादवेंद

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