जिस्म है तू तो मैं

परछाईं सा रहूंगा तेरी

फूल गर तू तो मैं

खुशबू सा संग आऊंगा

अपने बिगड़े हाल की

परवा नहीं है मुझ को

तुझ को परवा हो तो

पल में संवर जाऊंगा

तू चांद है मेरे आसमां का

तो मेरा भी हक है

धूप बन कर तेरे आंगन में

बिखर जाऊंगा

                         - डा. नीरजा श्रीवास्तव ‘नीरू’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...