जिस्म है तू तो मैं

परछाईं सा रहूंगा तेरी

फूल गर तू तो मैं

खुशबू सा संग आऊंगा

अपने बिगड़े हाल की

परवा नहीं है मुझ को

तुझ को परवा हो तो

पल में संवर जाऊंगा

तू चांद है मेरे आसमां का

तो मेरा भी हक है

धूप बन कर तेरे आंगन में

बिखर जाऊंगा

                         - डा. नीरजा श्रीवास्तव ‘नीरू’

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