छोरी छरहरी की
कोमल कलाई ने
नींद चुराई है.
काली कजरारी की
चंचल चमकाई ने
नींद चुराई है.
गोरी के गालों पर
अंकुरी अरुणाई ने
नींद चुराई है.
घुमड़ी घटाओं की
नागिन निराली ने
नींद चुराई है.
गजरे के गुच्छे की
मादक महकाई ने
नींद चुराई है.
प्रीत की प्याली की
रसमय रचाई ने
नींद चुराई है.
अकुलाती अंगिया में
उमड़ी उफनाई ने
नींद चुराई है.
निखरे नितंबों की
अद्भुत अंगड़ाई ने
नींद चुराई है.
– डा. सुरेश मोहन प्रसाद
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और