Hindi Poem : माना जीवन में अँधियारा है.
जुगनू कब रातों से हारा है.
माना रास्ता आसान नहीं है.
गिरना तेरी पहचान नहीं.

वक्त की ठोकरे बहुत हैं.
समय की पाबंदी भी है साथ तेरे.
कठिन रास्ता अनजान सफर है.
मंजिल अभी दूर बहुत है.

कितनी दूर कितनी पास.
इसका हिसाब कौन रखेगा.
तेरे साथ कौन चलेगा.
चलना तुझे अकेले ही होगा.

मंजिल पर पहुंच कर.
मुस्कुराना भी तुझे ही होगा.
अभी अपने हट को बांध कर रख.
अपने इरादों पर नजर रख.

सफर की कहानी रोचक होगी.
आगे इतिहास की कहानी वही होगी.
सपनों की उड़ान बड़ी ऊंची होगी.
खुद से ही लड़ाई होगी.

खुद की कहानी होगी.
खुद से ही हार कर जीत की जुबानी होगी.

लेखिका : Anupama Arya

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