खोदो मुझ को और मुझे गहरा होने दो

मैं दरिया हूं, मुझे समंदर होने दो

बहुत हो चुकी हवाओं की सरगोशियां

प्यासी है धरती, बादलों को बरसने दो

शिकवा न हो सकेगी कभी जिंदगी से

मुझे खुद से मुहब्बत करने की इजाजत दो

नहीं समाना अब निगाहों में किसी के

मुझे अपने घर का पता दे दो

न उतरे मुझ पर से मुहब्बत का रंग

निगाहों से अपने मुझे सुहागन बना दो

मुहब्बत में मुझे और कुछ न बनाओ

मैं इंसान हूं मुझे इंसान ही रहने दो.

– रिंकी वर्मा

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