आतेजाते मेरी राहों पर

आप का वो नजरें बिछाना

पकड़े जाने पर वो आप का

बेगानी सी अदा दिखाना

आप करें तो प्रेममुहब्बत

जो हम करें तो गुस्ताखी

काजल, बिंदी, गजरा, झुमके

लकदक शृंगार करना

मन चाहे कोई देखे मुड़ कर

देखे तो तेवर दिखलाना

आप सजे तो हक आप का

जो हम देखें तो गुस्ताखी

भीनी खुशबू, भीनी बातें

भीनीभीनी सी हलकी हंसी

जो खिलखिलाहटें गूंजी आप की

मएखाने छलके वहीं

हंसे आप तो महफिल रौनक

हम बहके तो गुस्ताखी

प्रेम वृहत है, प्रेम अटल है

प्रेम का पाठ दिलों ने पढ़ा

प्रेम धरा है, प्रेम गगन है

प्रेम से सृष्टि का जाल बुना

इजहार आप का, करम फिजा का

हम कहें तो गुस्ताखी.

– जयश्री वर्मा

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