तुझे दिल से अपने निकाल कर
मैंने ख्वाहिशों को सुला दिया
तू लौट कर भी ना आ सके
मैंने आशियाँ ही जला दिया
चुभने लगे थे आंख में
जो ख्वाब तूने दिखाये थे
ये तो शुक्र है के सहर ने फ़िर
मुझे असलियत से मिला दिया
तेरा प्यार था के फरेब था
मुझे आज तक ना पता चला
कभी रो दिये तो हंसा दिया
कभी हंसते हंसते रुला दिया
कभी बेपनाह मोहब्बतें
कभी बेबसी की कहानियां
कभी मौत के दर ले गया
कभी ज़िन्दगी से मिला दिया
ये ना सोचना के मैं रोऊंगी
पछताऊंगी तुम्हें छोड़ कर
मुझे गम नहीं किसी बात का
जो भुला दिया, सो भुला दिया
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
(1 साल)
USD48USD10

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
(1 साल)
USD100USD79

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और