तुम्हारा मुखड़ा रास आ गया
छिपा लो अपने मुखड़े को
ठोकर मार दो जी चाहे उसे
भूल जाओ दुखड़े को
खो न देना संभाल कर रखो
अपने दिल के टुकड़े को.
होशियार सिंह
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