तुम्हारे घर की खिड़की से

मैं देखना चाहती हूं मधुमास

तुम्हारे घर के सारे कमरों में

भर देना चाहती हूं मोगरे की सुगंध

और चंदन की शीतलता

तुम्हारे घर की सारी दीवार पर

कच्ची हलदी के रंग से

लिख देना चाहती हूं प्रेम

तुम्हारे घर के आंगन में

बनाना चाहती हूं

पीले गेंदे के फूल से रंगोली

उतार लाना चाहती हूं

तुम्हारे घर की छत पर

आकाश से पीले रंग के बादल

परोसना चाहती हूं

तुम्हें पीतल की पीली थाली में

बना कर तुम्हारे घर की

रसोई में पीले चावल

तुम्हारे घर के एक कोने में बैठ कर

तुम्हें सुनाना चाहती हूं

पीली डायरी में लिखी कविता

और एक कोने में बैठ कर

लिखना चाहती हूं

प्रेम की बहुत सारी कहानी

तुम्हारे घर की सारी सीढि़यों पर

रख देना चाहती हूं थोड़ीथोड़ी चांदनी

और सभी अलमारियों पर

रखना चाहती हूं थोड़ीथोड़ी धूप

तुम्हारे घर में तुम्हारी हथेलियों पर

रखना चाहती हूं पलाश में रंगी हुई

बहुत सारी शरबती बातें

तुम्हारे घर के दरवाजों पर

बांधना चाहती हूं

आम के महकते पत्तों का बंदनवार

तुम्हारे घर की हर ईंट में

भर देना चाहती हूं ढेर सारी हंसी

तुम्हारे घर की चौखट पर

रख देना चाहती हूं समंदर भर खुशी

इस बार कुछ इस तरह मनाना चाहती हूं

मैं वसंतोत्सव…

             – शुचिता श्रीवास्तव

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