पढ़ कर दर्दीला अफसाना
हाल ही में तुम
बहुत मुसकराई हो
कुछ देर रोने के बाद
यादों के आशियाने में छिपे
झरोखे को ढूंढ़ पाने के दौरां
जहां बोझल होती थीं पलकें
चेहरा तुम्हारा चूमती थीं
सुबह की देख कर किरणें
चांद के ढल जाने के बाद
तुम बहुत मुसकराई होगी
कुछ देर रोने के बाद.
– राजीव रोहित
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