अब तक की कथा :

पुलिस ईश्वरानंद के आश्रम में दबिश दे चुकी थी और आश्रम के अंदर जाने का प्रयास कर रही थी. इधर नील और उस की मां को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. अब तक तो अंधेरा ही था, अब तो सामने गहरी खाई दिखाई दे रही थी. मां के कारण उस ने दिया को हाथ तक न लगाया और अब नैन्सी भी उस के हाथों से फिसल रही थी. अब आगे...

अचानक दिया आगे बढ़ आई और उस ने सुनहरी पेंटिंग पर लगे हुए बड़े से सुनहरी बटन को दबा दिया. बटन दबाते ही दीवार में बना गुप्त दरवाजा खुल गया. सब की दृष्टि उस गलियारे में पड़ी जो फानूसों से जगमग कर रहा था. ब्रिटिश महिला पुलिस औफिसर एनी गलियारे की ओर बढ़ीं और उन्होंने सब को अपने पीछे आने का इशारा किया. गैलरी पार कर के सब लोग अब एक आलीशान दरवाजे के पास पहुंच गए थे जहां अंदर अब भी रासलीला चल रही थी. यहां भी दिया ने आगे बढ़ कर दरवाजे के खुलने का राज जाहिर कर दिया. दरवाजा क्या खुला, कई जोड़ी आंखें फटी की फटी रह गईं. सबकुछ इतना अविश्वसनीय था कि लोग अपनी पलकें झपकाना तक भूल गए थे.

अपनी अर्धनग्न चहेती शिष्याओं के साथ सामने के बड़े से मंच पर लगभग नग्नावस्था में विराजमान ईश्वरानंद का फूलों, केसर व चंदन से शृंगार किया जा रहा था. सुंदरियां उस के अंग को कोमलता से स्पर्श करतीं, चूमतीं और फिर उसे फूलों से सजाने लगतीं. सब इस कार्यक्रम में इतने लीन थे कि किसी को हौल में पुलिस के पहुंचने का आभास तक न हुआ. सैक्स का ऐसा रंगीला नाटक देख पुलिस भी हतप्रभ थी. इंस्पैक्टर ने साथ आए हुए फोटोग्राफर को इशारा किया और उस का मूवी कैमरा मिनटभर की देरी किए बिना वहां पर घटित क्रियाकलापों पर घूमने लगा.

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