माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय,

सर्वोच्च न्यायालय, भारतीय संघ

विषय : जनहित याचिका – हास्य का निशाना बनती महिलाएं

माननीय महोदय,

राष्ट्र की सजग और समर्पित नागरिक होने के नाते भारतीय संविधान की धारा 51 (ए) के अंतर्गत जनहित याचिका के माध्यम से मैं आप का ध्यान महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव की ओर दिलाना चाहती हूं. महोदय, क्या आप ने कभी गौर किया है कि हास्य की विभिन्न विधाओं, फिर चाहे वह चुटकुला हो, कार्टून हो, हास्य कविता हो या व्यंग्य, में ज्यादातर हम महिलाओं को ही निशाना क्यों बनाया जाता है आप कोई भी टीवी चैनल, समाचारपत्र या पत्रिका उठा कर देखिए, महिलाओं पर ही अधिक व्यंग्य और जोक्स सुननेपढ़ने को मिलते हैं. कभी हमारे फैशन, हमारी शारीरिक बनावट, हमारी चालढाल पर व्यंग्य किए जाते हैं तो कभी हमारे आईक्यू लेवल को व्यंग्य का निशाना बनाया जाता है. ‘कर दी महिलाओं वाली बात’ जैसे जुमले कह कर हमारी भावनाओं को आहत किया जाता है, हमारी छवि को खराब किया जाता है.

जोक्स के जरिए हम महिलाओं के साथ भेदभाव भी किया जाता है. जोक्स में जहां पुरुष को समझदार और बेचारा ठहराया जाता है वहीं महिलाओं को बेवकूफ व पतियों का शोषण करने वाली दर्शाया जाता है. इन जोक्स में हम महिलाओं की गपबाजी, सजनेसंवरने, शौपिंग ऐडिक्शन पर अटैक किया जाता है. बचपन से हम महिलाएं एक सिंगल लाइनर जोक सुनती आती हैं, ‘रेल का महिला डब्बा वह होता है जो इंजन से भी ज्यादा आवाज करता है.’ ‘हमें गर्व होना चाहिए हमारे देश की उन बहादुर महिलाओं पर जो भूखी तो रह सकती हैं पर चुप नहीं.’

दो महिलाओं को 15 साल की सजा मिली…

15 साल जेल में गुजारने के बाद जब दोनों रिहा हुईं तो उन्होंने मुसकराते हुए कहा- ‘चलो, अब बाकी बातें घर पहुंच कर करते हैं.’

महोदय, ये तो महिलाओं का टैलेंट होता है कि वे अपनी मन की बातें मन में नहीं रखतीं और हर किसी से खुल कर बात करती हैं. एक तरफ तो कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है दूसरी तरफ ऐसे जोक्स बनाए जाते हैं :

कोलंबस अगर मैरिड होता तो अमेरिका डिस्कवर नहीं कर पाता क्योंकि उस से किसी ने नहीं पूछा, ‘कहां जा रहे हो’, ‘क्यों जा रहे हो’, ‘किस के साथ जा रहे हो’, ‘मैं भी चलूंगी, वापस कब आओगे’, ‘घर में रह कर ही डिस्कवर कर लो’, ‘मेरी मां को ही साथ ले जाओ’, ‘मेरे लिए क्या लाओगे’, ‘वापसी में सब्जी लेते आना’, ‘पहुंच कर फोन करना’, ‘तुम ही क्यों हर बार डिस्कवर करते हो’, ‘कोई और क्यों नहीं कर सकता’, ‘खाना आ कर खाओगे या खा कर आओगे ’ वगैरहवगैरह.

महोदय हमारी भी भावनाएं आहत होती हैं. हमारी भी छवि खराब होती है. औरतें रसोई की बागडोर अपने हाथ में संभालती हैं. वहां भी उन के खानेपीने के शौक कुकिंग में उन के माहिर होने को ले कर जोक्स बनाए जाते हैं. नमूने पेश हैं :

पत्नी : खाने में क्या बनाऊं, इटैलियन, इंडियन, चायनीज या कौंटिनैंटल

पति : पहले तुम बना लो, नाम तो शक्ल देख कर रख लेंगे.

महोदय, ऐसे जोक्स पर रोक लगानी चाहिए और गाइडलाइन तय होनी चाहिए. हमारे फैशन, हमारी चालढाल, हमारे आईक्यू लेवल पर जोक नहीं बनने चाहिए. 

महोदय, हमारे साथ यह अन्याय क्यों  क्यों कोई हम महिलाओं के मानसम्मान, हमारी बिगड़ती छवि के लिए आवाज नहीं उठाता. जब दूसरे समुदायों को निशाना बनाया जाता है तो सभी जगहों से आवाजें उठती हैं लेकिन हमारे लिए कोई आवाज नहीं उठाता. उलटा, हम पर बने जोक्स को चटखारे लेले कर सुनाया जाता है. अपनी महिला बिरादरी के सम्मान की रक्षा के लिए मैं यह जनहित याचिका दायर कर रही हूं.

महोदय, जोक्स के माध्यम से यह भी दर्शाया जाता है कि पत्नियां अपने पतियों का शोषण करती हैं, उन्हें दुखी करती हैं. एक नमूना पेश है –

लड़की : शादी के बाद मैं तुम्हारे सारे दुख बांट लूंगी.

लड़का : पर मैं दुखी कहां हूं

लड़की : मैं शादी के बाद की बात कर रही हूं.

माननीय महोदय, आप ही बताएं, हम क्या पहनें, कैसे बोलें, हमारे फैशन पर हमारा मजाक क्यों बनाया जाए. अब आप इन जोक्स पर नजर डालिए :

एक महिला एक दुकान में भारतीय झंडा लेने गई. दुकानदार ने उसे तिरंगा दिया.

महिला ने उस से कहा, ‘और कलर दिखाइए ना.’

अगर लड़की मेकअप कर के, सजधज कर और किसी शादी, पार्टी या फंक्शन में जा रही हो तो समझ लें कि…

अगले दिन या तो फेसबुक पर उन की प्रोफाइल पिक बदलेगी या फिर रिलेशनशिप स्टेटस.

महोदय, दरअसल ये पुरुष हमारी खूबसूरती, हमारी फैशन सैंस से चिढ़ते हैं इसलिए वे जोक्स के माध्यम से हमारा मजाक बनाते हैं. कोई इन से पूछे-क्या इन्हें खूबसूरत स्मार्ट बीवी या गर्लफ्रैंड पसंद नहीं  वे जोक्स के माध्यम से हमारा मजाक क्यों बनाते हैं. इस के अलावा ये पुरुष भी तो फैशन या ब्यूटी के नजरिए से अपना मेकओवर कराते हैं. जब वे खुद ऐसा करते हैं तो उन्हें महिलाओं का मजाक बनाने की जुर्रत हरगिज नहीं करनी चाहिए.

मर्दों को क्या पता कि हमें फैशन के अनुसार खुद को अपडेट रखने के लिए और उस के अनुसार अपनी फिगर मेंटेन रखने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं. हमारी पसंद का फूड हमारे सामने होता है और डाइटिंग पर रहते हुए हमें अपने दिल पर पत्थर रख कर उस फूड के लिए न करना पड़ता है. उस समय हमारे दिल को जो पीड़ा पहुंचती है वह ये पुरुष क्या जानेंगे. जिस पतली कमर पर से पुरुषों की नजरें नहीं हटतीं उस के लिए हमें किना पसीना बहाना पड़ता है. कड़कड़ाती सर्दी में सैक्सी लुक के लिए कैसे हम डीप नैक ब्लाउज विदाउट स्वेटर और शाल कैरी करती हैं, यह हमारा दिल जानता है. हम तैयार होने में ज्यादा समय लेती हैं तभी तो परफैक्ट दिखती हैं. पुरुष भला क्या जानेंगे इस सब के पीछे छिपी हमारी मेहनत.

सो, निवेदन है कि हम महिलाओं के आत्मसम्मान हेतु जोक्स के बहाने हमारा मजाक बनाना बंद करने का फैसला सुनाइए

पूर्ण सम्मान के साथ-

महिलाओं पर बने जोक्स से पीडि़त एक महिला

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