फोन की घंटी सुनते ही नेहल ने फोन कान से लगाया था, ‘‘हैलो.’’
‘‘कहिए, ‘थ्री इडियट्स’ फिल्म कैसी लगी? फिल्म पुरानी हो गई है, पर आप का उस के प्रति आकर्षण खत्म नहीं हुआ. कितनी बार देख चुकी हैं?’’ हलकी हंसी के साथ दूसरी ओर से आवाज आई थी.
‘‘हैलो, आप कौन?’’ नेहल को आवाज अपरिचित लगी थी.
‘‘समझ लीजिए एक इडियट ही पूछ रहा है,’’ फिर वही हंसी.
‘‘देखिए, या तो अपना नाम बताइए वरना इस दुनिया में इडियट्स की कमी नहीं है, उन में से आप को पहचान पाना कैसे संभव होगा. मैं फोन रखती हूं.’’
‘‘नहींनहीं, ऐसा गजब मत कीजिएगा. वैसे मेरे सवाल का जवाब नहीं मिला.’’
‘‘तुम्हारे सवाल का जवाब देने को मेरे पास फालतू टाइम नहीं है, इडियट कहीं का.’’
नेहल फोन पटकने ही वाली थी कि उधर से आवाज आई, ‘‘सौरी, गलती कर रही हैं, जीनियस इडियट कहिए. देखिए, किस आसानी से आप का मोबाइल नंबर मालूम कर लिया.’’
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‘‘इस में कौन सी खास बात है, तुम जैसे बेकार लड़कों का काम ही क्या होता है. दोस्तों पर रोब जमाने के लिए लड़कियों के नामपते जान कर उन्हें फोन कर के परेशान करते हो. पर एक बात जान लो, अगर फिर फोन किया तो पुलिस ऐक्शन लेगी, सारी मस्ती धरी रह जाएगी,’’ गुस्से से नेहल ने फोन लगभग पटक सा दिया.
एमए फाइनल की छात्रा, नेहल सौंदर्य और मेधा दोनों की धनी थी. ऐसा नहीं कि उसे देख लड़कों ने फब्तियां न कसी हों या उस के घर तक उस का पीछा न किया हो, पर नेहल की गंभीरता का कवच उन्हें आगे बढ़ने से रोक देता. उसे पाने और उस के साथ समय बिताने की आकांक्षा लिए न जाने कितने युवक आहें भरते थे. लेकिन आज तक किसी ने उसे इस तरह का फोन नहीं किया था.
मांबाप की इकलौती लाड़ली बेटी नेहल, अपने मन की बातें बस अपनी प्रिय सहेली पूजा के साथ ही शेयर करती थी. आज भी तमतमाए चेहरे के साथ जब वह यूनिवर्सिटी पहुंची तो पूजा देखते ही समझ गई कि नेहल का पारा हाई है. उस ने हंसते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है नेहल, आज तेरा गुलाबी चेहरा तमतमा क्यों रहा है?’’
‘‘मैं उसे ठीक कर दूंगी. अपने को हीरो समझता है. कहता है वह ‘जीनियस इडियट’ है. सामने आ जाए तो दिमाग ठिकाने न लगा दूं तो मेरा नाम नेहल नहीं.’’
‘‘किस की बात कर रही है, किसे ठीक करेगी?’’ पूजा कुछ समझी नहीं थी.
‘‘था कोई, नाम बताने के लिए हिम्मत चाहिए. न जाने उसे कैसे पता लग गया, हम ‘थ्री इडियट्स’ देखने गए थे. पूछ रहा था, फिल्म हमें कैसी लगी.’’
‘‘बस, इतनी सी बात पर इतना गुस्सा? अरे, बता देती तुझे फिल्म अच्छी लगी. रही बात उसे कैसे पता लगा, तो भई होगा कोई तेरा चाहने वाला. तुझे पिक्चर हौल में देखा होगा. इतना गुस्सा तेरी सेहत के लिए अच्छा नहीं, मेरी सखी. काश, कोई मुझे भी फोन करता, पर क्या करें कुदरत ने सारी सुंदरता तुझे ही दे डाली,’’ पूजा के चेहरे पर शरारतभरी मुसकराहट थी.
‘‘अच्छी बात है, अगली बार कोई फोन आया तो तेरा नंबर दे दूंगी. अब क्लास में चलना है या आज भी कौफी के लिए क्लास बंक करेगी?’’
‘‘मेरा ऐसा समय कहां, तू भला उस नेक काम में साथ देगी, नेहल? फिर उसी बोरिंग लैक्चर को सहन करना होगा. यार, यह हिस्ट्री सब्जैक्ट क्यों लिया हम ने. रोज गड़े मुर्दे उखाड़ते रहो.’’
पूजा के चेहरे के भाव देख नेहल हंस पड़ी.
‘‘तेरी सोच ही गलत है, पूजा. अगर रुचि ले तो इस विषय में न जाने कितना रोमांच और थ्रिल है. चल, वरना हम लेट हो जाएंगे.’’
बेमन से पूजा नेहल के साथ चल दी.
रात में मोबाइल की घंटी ने नेहल की नींद तोड़ दी. दिल में घबराहट सी हुई, कहीं घर से तो फोन नहीं आया है. जब से नेहल पढ़ने के लिए इस शहर में आई थी, उस का मन घर के लिए चिंतित रहता था. शुरूशुरू में होस्टल में रहना उसे अच्छा नहीं लगा था. पूजा से मित्रता के बाद उसे घर की उतनी याद नहीं आती थी.
‘‘हैलो.’’
‘‘जरा अपनी खिड़की का परदा उठा कर देखिए, मान जाएंगी क्या नजारा है. प्लीज इसे मिस मत कीजिए, मेरी रिक्वैस्ट है,’’ फिर वही परिचित आवाज.
‘‘दिमाग खराब है क्या मेरा जो रात के 2 बजे बाहर का नजारा देखूं? रात में जागना तुम जैसे उल्लू के लिए ही संभव है. लगता है तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे, अब कोई ऐक्शन लेना ही होगा.’’
फोन तो नेहल ने बंद कर दिया, पर सोच में पड़ गई, आखिर वह उसे ऐसा क्या दिखाना चाहता है जिस के लिए आधी रात को उसे जगाया है. बिस्तर से सिर उठा कर जाली वाले झीने परदे से बाहर के नजारे को देखने का लोभ, वह संवरण नहीं कर सकी. बाहर पूर्णिमा का चांद अपने पूरे वैभव में साकार था. सारे पेड़पौधे चांदनी में नहाए खड़े थे. नेहल मुग्ध हो उठी. बिस्तर से उठ खिड़की के पास आ खड़ी हुई. उस के अंतर की कवयित्री जाग उठी. कविता की कुछ पंक्तियां मन में आई ही थीं कि मोबाइल फिर बजा.
‘‘मान गईं, क्या तिलिस्मी नजारा है. जरूर कोई कविता लिख डालेंगी, पर उस का क्रैडिट तो मुझे मिलेगा न?’’ फिर वही हंसी.
‘‘अब तक कितनों की नींद खराब कर चुके हो? तुम्हारा नंबर मेरे मोबाइल पर आ गया है, अब अपनी खैर मनाओ.’’
‘‘कमाल करती हैं, मैं ने बताया है न मैं जीनियस हूं. अगर मुझे पकड़ सकीं तो जो सजा देंगी, मंजूर है. वैसे कल आसमानी सलवारसूट में आप का चेहरा देख कर ऐसा लगा, नीले आकाश में चांद चमक रहा है. बाई द वे, आप का पसंदीदा रंग कौन सा है? नहीं बताएंगी तो भी मैं पता कर लूंगा. इतनी देर बरदाश्त करने के लिए थैंक्स ऐंड गुडनाइट.’’
फोन काट दिया गया.