जैसे जैसेशिखा के जन्मदिन की पार्टी में जाने का समय नजदीक आ रहा है, मेरे मन की बेचैनी बढ़ती ही जा रही है. मैं उस के घर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं पर अपने फ्लैट से कदम निकालने की हिम्मत नहीं हो रही है.

मैं करीब 2 महीने पहले शिखा से पहली बार अपने कालेज के दोस्त समीर के घर मिला था. उसी मौके पर मेरा समीर की पत्नी अंजलि, उस के दोस्त मनीष और उस की प्रेमिका नेहा से भी परिचय हुआ था.

शिखा के सुंदर चेहरे से मेरी नजरें हट ही नहीं रही थीं. वह जब छोटीछोटी बातों पर दिल खोल कर हंसती तो सामने वाला खुदबखुद मुसकराने लगता था.

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मैं ने मौका पा कर समीर से अकेले में पूछा, ‘‘क्या शिखा का कोई बौयफ्रैंड है?’’

‘‘नहीं,’’ उस ने मेरे चेहरे को ध्यान से पढ़ते हुए जवाब दिया.

‘‘गुड,’’ उस का जवाब सुन मेरा मन खुशी से उछल पड़ा, ‘‘तू उस से मेरी दोस्ती करा दे, यार.’’

‘‘कपिल, मैं उस के साथ तेरी दोस्ती नहीं सिर्फ परिचय करा सकता था और वह मैं ने करा दिया.’’

‘‘मुझे शिखा से पहली नजर में ही प्यार हो गया है.’’

मेरे मुंह से ये शब्द सुन कर वह हंसा, ‘‘तू ज्यादा बदला नहीं है. कालेज में भी आए दिन तुझे पहली नजर में प्यार कराने वाला कीड़ा काटता रहता था.’’

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‘‘पुरानी बातें भूल जा, मेरे दोस्त. अब मैं अपना घर बसाना चाहता हूं. मुझे लगता है कि शिखा ही मेरे सपनों की राजकुमारी है,’’ मैं ने उसे विश्वास दिलाने की कोशिश करी कि मैं प्यार के इस ताजा मामले में एकदम सीरियस हूं.

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