हर साल की तरह आज भी सुबह के 5 बजे ही मोबाइल ने बता दिया कि आज अदिति और विनय की शादी की सालगिरह है. हड़बड़ा कर अदिति उठ बैठी. उसे लगा अभी विनय उसे खींच कर अपनी बांहों में भर लेगा हमेशा की तरह और कहेगा, ‘कहां जा रही हो अदिति? आज हमारी शादी की सालगिरह है. तो, आज तो तुम्हें मुझ से छुटकारा नहीं मिलने वाला.’ और अदिति जैसे ही कुछ बोलने को होती, विनय उस के होंठों पर अपनी उंगली रख देता और कहता, ‘नहीं, कोई काम का बहाना नहीं. आज हम घूमेंगेफिरेंगे, अच्छी सी फिल्म भी देखेंगे और खाना भी बाहर ही खाएंगे.’

पर, विनय तो अब रहा नहीं अदिति की जिंदगी में. वह तो उस से काफी दूर जा चुका था. आंखें छलछला गईं उस की अपने पति को याद कर के. विनय को उस की जिंदगी से गए 2 साल हो चुके थे. पर आज भी उसे लगता था कि विनय उस के पास ही है. ठंडी हवा के सर्द झोंके और उस का अदिति को छू कर गुजरना, विनय की याद को और भी ताजा कर रहा था. अदिति ने एक नजर पास ही पलंग पर सोए अपने बच्चों पर डाली. दोनों बड़े ही सुकून की नींद सो रहे थे. उस ने सोचा, थोड़ी देर और सोने देती हूं, तब तक नाश्ते की तैयारी कर लेती हूं.

नाश्ता बनाते वक्त भी आज उसे विनय की याद सता रही थी कि कैसे वह पीछे से आ कर अदिति को पकड़ लेता था और प्यार करते हुए जाने कितनी बार उसे किस करता था और तब अदिति, झल्ला कर कह उठती थी, ‘छोड़ो न विनय, आप को तो हरदम बस रोमांस ही सूझता रहता है, कभी मेरे काम में भी मदद कर दिया करो तो जानें.’ तो विनय हंस कर कहता, ‘काम जो बोलो मैं कर दूंगा पर फिर बाद में तुम भुनभुनाना मत कि मैं ने तुम्हारा किचन गंदा कर दिया.’

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