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‘‘वैसे कहां तक पहुंचा था तुम्हारा प्यार?’’

‘‘बस, हाथ पकड़ने से ले कर चूमने तक.’’

सितारा ने फिर वर्मा की लड़की का जिक्र छोड़ कर अपनी करतूत पर परदा डालते हुए कहा, ‘‘वर्मा की लड़की के तो मजे हैं. देखना भागेगी एक न एक दिन.’’

‘‘हां, लेकिन हमें क्या लेनादेना. भाड़ में जाए. एक बात जरूर है, है बहुत सुंदर. जब लड़की इतनी सुंदर है तो कोई न कोई तो पीछे पड़ेगा ही. अब बाकी दारोमदार लड़की के ऊपर है.’’

‘‘क्या खाक लड़की के ऊपर है. देखा नहीं, उस का शरीर कैसा भर गया है. ये परिवर्तन तो शादी के बाद ही आते हैं.’’

‘‘हां, लगता तो है कि प्यार की बरसात हो चुकी है. एक हम हैं कि तरसते रहे जीवनभर लेकिन जिस पर दिल आया था वह न मिला. कमीने के कारण पूरे गांव में बदनाम हो गई और शादी की बात आई तो मांबाप का आज्ञाकारी बन गया. श्रवण कुमार की औलाद कहीं का.’’

‘‘वह जमाना और था. आज जमाना और है. आज तो लड़केलड़की कोर्ट जा कर शादी कर लेते हैं. कानून भी मदद करता है. हमारे जमाने में ये सब कहां था?’’

‘‘होगा भी तो हमें क्या पता? हम ठहरे गांव के गंवार. आजकल के लड़केलड़कियां कानून की जानकारी रखते हैं और समाज को ठेंगा दिखाते हैं. काश, हम ने हिम्मत की होती, हमें ये सब पता होता तो आज तेरा जीजा कोई और होता.’’

‘‘मैं तो मांबाप के सामने स्वीकार भी न कर सकी. उस के बाद भी भाइयों को पता नहीं क्या हुआ कि बेचारे के साथ खूब मारपीट की. अस्पताल में रहा महीनों. इस बीच मेरी शादी कर दी. मैं क्या विरोध करती, औरत जात हो कर.’’

‘‘सच कहती हो. जिस खूंटे से मांबाप ने बांध दिया, बंध गए. आजकल की लड़कियों को देख लो.’’

‘‘अरी बहन, लड़कियां क्या, शादीशुदा औरतों को ही देख लो. एकसाथ दोदो. घर में पति, बाहर प्रेमी. इधर, पति घर से निकला नहीं कि प्रेमी घर के अंदर. क्या जमाना आ गया है.’’ बातचीत हो ही रही थी कि तभी बाहर से आवाज आई, ‘‘दादी ओ दादी.’’

‘‘लो, आ गया बुलावा. अब जाना ही पड़ेगा.’’

‘‘तुम क्या कह रही थीं?’’

‘‘अब, कल बताऊंगी. अभी चलती हूं.’’

अगले दिन वे फिर मिलीं.

तारा ने कहा, ‘‘सुना है पाकिस्तान के राष्ट्रपति को पुलिस ने पकड़ लिया.’’

सितारा ने कहा, ‘‘पाकिस्तान अजीब मुल्क है जहां राष्ट्रपति को पुलिस पकड़ लेती है. भारत में किसी पुलिस वाले की हिम्मत नहीं कि राष्ट्रपति पर उंगली भी उठा सके. यहां पुलिस वाले तो बस गरीबों को ही पकड़ते हैं.’’

‘‘अरे छोड़ो ये सब, यह बताओ, कल क्या कहने वाली थीं?’’ सितारा याद करने की कोशिश करती है लेकिन उसे याद नहीं आता. फिर वह बातों में रस लाने के लिए काल्पनिक बात कहती है, ‘‘हां, मैं कह रही थी कि वर्मा की बिटिया कल छत पर उलटी कर रही थी. कहीं पेट से तो नहीं है?’’

‘‘हाय-हाय, वर्माजी के मुख पर तो कालिख पुतवा दी लड़की ने. घर वालों को तो पता ही होगा.’’

‘‘क्यों न होगा. उस के मांबाप के चेहरे का रंग उड़ा हुआ है. रात में घर से चीखने की आवाजें आ रही थीं. बाप चिल्ला रहा था कि नाक कटवा कर रख दी. क्या मुंह दिखाऊंगा लोगों को. और लड़की सुबकसुबक कर रो रही थी. आज देखा कि वर्माइन अपनी बेटी को बिठा कर रिकशे पर ले जा रही थीं. दोनों मांबेटी के चेहरे उतरे हुए थे. जरूर बच्चा गिराने ले जा रही होगी.’’

‘‘क्या सच में?’’

‘‘तो क्या मैं झूठ बोलूंगी. धर्म कहता है झूठ बोलना गुनाह है, जैसे शराब पीना गुनाह है.’’

‘‘लेकिन क्या मुसलमान शराब नहीं पीते?’’

‘‘अरे, अब धर्म की कौन मानता है. जो पीते हैं वे शैतान हैं.’’

‘‘जीजा भी तो पीते थे.’’ सितारा ने दोनों कान पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘तौबातौबा, कभीकभी दोस्तों के कहने पर पी लेते थे. अब मृतक के क्या दोष निकालना. बहुत भले इंसान थे.’’

‘‘लेकिन मैं ने तो सुना है कि पी कर कभीकभी तुम्हें पीटते भी थे?’’

‘‘किस से सुना है? नाम बताओ उस का?’’ सितारा ने गुस्से में कहा तो फौरन तारा ने उसे पान लगा कर दिया. सितारा ने पान मुंह में रखते हुए कहा, ‘‘अब आदमी कभीकभी गुस्से में अपनी औरत को पीट देता है. मियांबीवी के बीच में थोड़ीबहुत तकरार जरूरी भी है. मैं भी कहां मुंह बंद रखती थी. पुलिस वालों की तरह सवाल पर सवाल दागती थी, ‘देर क्यों हो गई, कहीं किसी के साथ चक्कर तो नहीं है?’’’

‘‘था क्या कोई चक्कर?’’

‘‘होता तो शादी नहीं कर लेते. हमारे मर्दों को 4 शादियों की छूट है. लेकिन मेरा मर्द बाहर चाहे जो करता हो, घर पर कभी किसी को नहीं लाया.’’

फिर थोड़ी देर खामोशी छा जाती. इतने में चायनाश्ता हो जाता. वे फिर तरोताजा हो जातीं और सोचतीं कि कहां से शुरू करें. आखिर 2 औरतें कितनी देर खामोश रह सकती हैं.

‘‘तुम अपनी कहो, कल बहू चिल्ला क्यों रही थी?’’

‘‘अरे, पतिपत्नी में झगड़ा हो गया था किसी बात को ले कर. थोड़ी देर तो मैं सुनती रही, फिर जब नीचे आ कर दोनों को डांटा तो बोलती बंद दोनों की.’’ यह तो तारा ही जानती थी कि जब उस ने पूछा था कि क्या हो गया बहू? तो बहू ने पलट कर जवाब दिया था, ‘अपने काम से काम रखो, ज्यादा कान देने की जरूरत नहीं है. अपने लड़के को समझा लो कि शराब पी कर मुझ पर हाथ उठाया तो अब की रिपोर्ट कर दूंगी दहेज की. सब अंदर हो जाओगे.’

‘‘लेकिन मुझे तो सुनने में आया कि कोई दहेज रह गया था, उस पर…’’

तारा ने बात काटते हुए कहा, ‘‘हम क्या इतने गएगुजरे हैं कि बहू को दहेज के लिए प्रताडि़त करेंगे. किस से सुना तुम ने…सब बकवास है. अब झगड़े किस घर में नहीं होते. हमारा आदमी हमें पीटता था तो हम चुपचाप रोते हुए सह लेते थे. पति को ही सबकुछ मानते थे. लेकिन आजकल की ये पढ़ीलिखी बहुएं, थोड़ी सी बात हुई नहीं कि मांबाप को रो कर सब बताने लगती हैं. रिपोर्ट करने की धमकी देती हैं. ऐसे कानून बना दिए हैं सरकार ने कि घरगृहस्थी चौपट कर दी. सत्यानाश हो ऐसे कानूनों का.’’

‘‘हां, सच कहती हो. घरपरिवार के मामलों में सरकार को क्या लेनादेना. जबरदस्ती किसी के फटे में टांग अड़ाना.’’

तारा ने आंखों में आंसू भरते हुए कहा, ‘‘घर तो हम जैसी औरतों की वजह से चलते हैं. बाहर आदमी क्या कर रहा है, हमें क्या लेनादेना लेकिन आजकल की औरतें तो अपने आदमी की जासूसी करती हैं. वह क्या कहते हैं…मोबाइल, हां, उस से घड़ीघड़ी पूछती रहती हैं, कहां हो? क्या कर रहे हो, घर कब आओगे? अरे आदमी है, काम करेगा कि इन को सफाई देता रहेगा. हमारा आदमी बाहर किस के साथ था, हम ने कभी नहीं पूछा.’’ यह तो तारा ने नहीं बताया कि पूछने पर पिटाई हुई थी कई दफा. उस का आदमी बाहर किसी औरत को रखे हुए था. घर में कम पैसे देता था. कभीकभी घर नहीं आता था. आता तो शराब पी कर. पूछने पर कहता कि मर्द हूं. एक रखैल नहीं रख सकता क्या. तुम्हें कोई कमी हो तो कहो. दोबारा पूछताछ की तो धक्के दे कर भगा दूंगा. उस ने अपने आंसुओं को रोका. पानी पिया. पिलाया. फिर पान का दौर चला.

‘‘अरे तारा, कल बेटा पान ले कर आया था बाजार से. लाख महंगा हो, एक से एक चीजें पड़ी हों सुगंधित, खट्टीमीठी लेकिन घर के पान की बात ही और है.’’

‘‘क्या था ऐसा पान में? क्या तुम ने देखा था?’’

‘‘हां, जब बेटे ने बताया कि पूरे 20 रुपए का पान है. ये बड़ा. तो इच्छा हुई कि आखिर क्या है इस में? खोला तो बेटे से पूछा, ‘ये क्या है?’ तो बेटे ने बताया कि अम्मी, यह चमनबहार है, यह खोपरा है, यह गुलकंद है, यह चटनी है. और भी न जाने क्याक्या. लेकिन अच्छा नहीं लगा, एक तो मुंह में न समाए. उस पर खट्टामीठा पान. अरे भाई, पान खा रहे हैं कोई अचार नहीं. पान तो वही जो पान सा लगे, जिस में लौंग की तेजी, इलाइची की खुशबू, कत्था, चूना, सुपारी हो. ज्यादा हुआ तो ठंडाई और सौंफ. बाकी सब पैसे कमाने के चोंचले हैं.’’ यह नहीं बताया सितारा ने कि उन्हें शक हो गया था कि जमीनमकान के लोभ में कहीं बेटा पान की आड़ में जहर तो नहीं दे रहा है. सो, उन्होंने पान खोल कर देखा था. जब आश्वस्त हो गईं और आधा पान बहू को खिला दिया, तब जा कर उन्हें तसल्ली हुई. बेटेबहू काफी समय से गांव की जमीन बेचने के लिए दबाव बना रहे थे.

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