अपने मकान के दूसरे हिस्से में भारी हलचल देख कर अंजु हैरानी में पड़ गई थी कि इतने लोगों का आनाजाना क्यों हो रहा है. जेठजी कहीं बीमार तो नहीं पड़ गए या फिर जेठानी गुसलखाने में फिसल कर गिर तो नहीं गईं.

जेठानी की नौकरानी जैसे ही दरवाजे से बाहर निकली, अंजु ने इशारे से उसे अपनी तरफ बुला लिया.

चूंकि देवरानी और जेठानी में मनमुटाव चल रहा था इसलिए जेठानी के नौकर इस ओर आते हुए डरते थे.

अंजु ने चाय का गिलास नौकरानी को पकड़ाते हुए कहा, ‘‘थोड़ी देर बैठ कर कमर सीधी कर ले.’’

चाय से भरा गिलास देख कर नौकरानी खुश हो उठी, फिर उस ने अंजु को बहुत कुछ जानकारी दे दी और यह कह कर उठ गई कि मिठाई लाने में देरी हुई तो घर में डांट पड़ जाएगी.

यह जान कर अंजु के दिल पर सांप लोटने लगा कि जेठानी की बेटी निन्नी का रिश्ता अमेरिका प्रवासी इंजीनियर लड़के से पक्का होने जा रहा है.

जेठानी का बेटा डाक्टर बन गया. डाक्टर बहू घर में आ गई.

अब तो निन्नी को भी अमेरिका में नौकरी करने वाला इंजीनियर पति मिलगया.

ईर्ष्या से जलीभुनी अंजु पति और पुत्र दोनों को भड़काने लगी, ‘‘जेठजेठानी तो शुरू से ही हमारे दुश्मन रहे हैं. इन लोगों ने हमें दिया ही क्या है. ससुरजी की छोड़ी हुई 600 गज की कोठी में से यह 100 गज में बना टूटाफूटा नौकर के रहने लायक मकान हमें दे दिया.’’

हरीश भी भाई से चिढ़ा हुआ था. वह भी मन की भड़ास निकालने लगा, ‘‘भाभी यह भी तो ताने देती कहती हैं कि भैया ने अपनी कमाई से हमें दुकान खुलवाई, मेरी बीमारी पर भी खर्चा किया.’’

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