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“शैली, यह...यह तुम क्या कर रही हो? कहां जा रही हो?” शैली को बैग में अपना सामान रखते देख मनीष  बौखला उठा, “तुम मुझे छोड़ कर जा रही हो?” “हां, क्योंकि अब तुम्हारी ज़िंदगी में मेरे लिए कोई जगह नहीं है मनीष. मेरा तुम्हारी ज़िंदगी से निकल जाना ही सही रहेगा,” अपने बहते आंसू पोंछते हुए शैली बोली, “शादी भले ही जिस प्रकार भी हुई हो, पर वह तुम्हारी पत्नी है. तुम पर उस का पूरा अधिकार है.“

शैली को इस तरह रोते देख मनीष की आंखों से भी आंसू निकल पड़े, बोला, “ठीक है तो फिर, मैं इस अधिकार को ही खत्म कर दूंगा.  तलाक दे दूंगा मीरा को.“ मनीष ने दृढ़ निश्चय कर लिया कि अब वह मीरा को तलाक दे कर रहेगा, क्योंकि बेमतलब के रिश्ते में बंधे रहने का अब कोई मतलब नहीं है. “बस, तुम मेरा साथ दोगी न, यह बताओ?” मनीष ने उस की आंखों में झांकते हुए पूछा.

“हां, हर हाल में, लेकिन तुम्हारे घरवाले? और तुम्हारी पत्नी, क्या वह तलाक देने के लिए राजी होगी?” सशंकित होते हुए शैली बोली. “नहीं पता कि क्या होगा और क्या नहीं, लेकिन इतना जानता हूं कि मैं तुम्हारे बगैर नहीं जी सकता शैली,” कह कर उस ने शैली को अपने सीने से लगा लिया. लेकिन शैली के मांपापा इस रिश्ते के लिए अब तैयार नहीं थे. वे नहीं चाहते थे कि मनीष  से उस की शादी हो. लेकिन शैली तो जन्मजन्मांतर तक मनीष  का साथ निभाने का वादा कर चुकी थी, तो वह कैसे अपनी बात से अब पीछे हट सकती थी.

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