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‘‘वे रंग कहां मिलेंगे?’’ गुलाबी रंग वाली लड़की ने उत्साह से उस के हाथ को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबा दिया, ‘‘चलो, मुझे वहां ले चलो. मैं उन रंगों को भी अपने तनमन में बसा लेना चाहती हूं.’’ लड़की सचमुच बहुत भोली थी और काले रंग की चाल को नहीं समझ पा रही थी. लड़कियां जब अपनी आंखों में इंद्रधनुष बसा लेती हैं तो उन की आंखों में जीवन के वास्तविक रंग खो जाते हैं और वे ऐसे काल्पनिक रंगों की विविधता में खो जाती हैं कि उन को पाने के चक्कर में अपना बहुतकुछ गंवा देती हैं.

काले रंग ने उसे अपने रंग में रंगते हुए कहा, ‘‘इन रंगों को पाने के लिए हमें एकांत की अंधेरी गलियों में जाना होगा. वहां हमें कुछ दिखाई नहीं देगा, परंतु हम अपने हाथों से उन रंगों को प्राप्त कर सकते हैं. अगर तुम सहमत हो तो हम चलें और उन रंगों को खोज कर अपने हाथों से अपने तनबदन में भर लें. देखना, बहुत अच्छे लगेंगे तुम को वे रंग, जब वे तुम्हारी पकड़ में आ जाएंगे.’’ गुलाबी रंग वाली लड़की को काले रंग की मंशा का अंदाजा नहीं था. वह बस जीवन को सुख प्रदान करने वाले कुछ और रंगों को अपने तनबदन में समेट लेना चाहती थी. इंद्रधनुष के रंग उस की आंखों में कम पड़ने लगे थे. अब उसे उन रंगों की तलाश थी जो उस के तनबदन से लिपट कर उसे जीवन के अभी तक अपरिचित सुख से सराबोर कर दें. वह भोली थी, परंतु उत्सुक थी. और जहां ये दोनों चीजें हों वहां बुद्धिमत्ता नहीं हो सकती, सतर्कता नाम की किसी चीज से इन का कोई वास्ता नहीं होता.

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