Hindi Satire : हाए री सरला, पंडितजी के बताए उपाय में ऐसे उलझ कि कष्ट निवारक काले कुत्ते को ढूंढ़ना महंगा पड़ गया. इतना महंगा कि कभी सड़क की खाक छानती तो कभी घरघर घीरोटी ले जाती फिरती. मगर कष्ट जहां का तहां ही रहा.

आज फिर से मनसुख भाई और उन की पत्नी सरला के बीच अच्छीखासी नोंकझोंक हुई. इधर कुछ दिनों से पतिपत्नी के बीच खटपट तेज हो गई थी. मनसुख कपड़े की दुकान चलाते थे जबकि सरला सीधीसादी गृहिणी थी. घर के काम के साथ वह टीवी के भक्ति चैनलों पर भी अच्छा समय दिया करती थी.
‘‘सरला बहन, आज फिर से मनसुख भाई की तेज आवाज हमारे घर में अंदर तक पहुंच रही थी.’’ दोपहर में सरला को बालकनी में कपड़े फैलाते देख पड़ोसिन मालती ने कहा.
‘‘सरला बहन, मैं कब से बोल रही हूं कि यह सब ग्रह का फेर है. एक बार पंडितजी से मिल ही लो. कोई न कोई राह तो जरूर निकल आएगी.’’
पड़ोसिन मालती की बात सुन कर सरला का मन भी डोल गया. वह पंडितजी के पास जाने के लिए तैयार हो गई.

बाजार में चौक वाले मंदिर पर एक पंडितजी बैठते थे. मालती सरला को ले कर उन्हीं के पास गई. वहां जा कर सरला ने हाथ जोड़ कर अपनी समस्या बताई. जिस प्रकार शरीर में कुछ तकलीफ होने पर व्यक्ति किसी डाक्टर के पास निदान के लिए जाता है, उसी प्रकार सरला अपनी गृहस्थी की समस्या दूर करने के लिए पंडितजी के पास आई थी.

सारी बात सुन कर पंडितजी ने एक सरसरी निगाह सरला पर डाली और बोले, ‘‘आप के ललाट की रेखाएं बता रही हैं कि आप के ऊपर शनि की साढ़े साती सवार है और आप का गुरु भी बहुत कमजोर है.’’
‘‘पंडितजी, इस से नजात कैसे मिलेगी?’’ चिंता के भाव के साथ हाथ जोड़े सरला बोली.
‘‘गुरु को भारी करने के लिए कुछ विशेष पूजा और हवन करना होगा. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए घी में चुपड़ी रोटी सुबहशाम काले कुत्ते को खिलाएं. शनि देव की कृपा के साथ काल भैरव की भी विशेष कृपा मिलेगी.’’

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