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भैया अमेरिका में सैटल हो गए. अब उन्हें शादी के लिए उच्चशिक्षित, संपन्न रिश्ते आ रहे थे. भैया के कहेअनुसार हम लड़की देखने जा रहे थे. आखिरकार हम ने भैया के लिए 4 लड़कियां चुनीं. एक महीने बाद भैया इंडिया लौटे. सब लड़कियों से मिले और शर्मिला के साथ रिश्ता पक्का किया. शर्मिला ने बीकौम किया था, मांबाप की वह इकलौती लड़की थी. उस के पिता देशमुख का स्पेयरपार्ट का कारखाना था. शर्मिला सुंदर व सुशील थी.

‘‘क्यों पक्या, भाभी पसंद आई तुझे?’’ भैया ने पूछा.

‘‘क्यों नहीं, शर्मिला टैगोर भी मात खाएगी, इतनी सुंदर और शालीन मेरी भाभी हैं. ऐसी भाभी किस को अच्छी नहीं लगेंगी. जोड़ी तो खूब जंच रही है आप की.’’

जल्दी ही सगाई हुई और 3 हफ्ते बाद शादी की तारीख तय हुई. बाद में एक महीने बाद दोनों अमेरिका जाने वाले थे. यह सब भैया ने ही तय किया था. दोनों साथसाथ घूमने लगे थे. सब खुशी में मशगूल थे. दोनों ओर शादी की शौपिंग चल रही थी.

‘‘चल पक्या, मेरे साथ शौपिंग को. सूट लेना है मुझे.’’

‘‘मैं? सूट तो आप को लेना है. तो भाभी को ले कर जाओ न.’’

‘‘भाभी? ओह शर्मिला, ये क्या पुराने लोगों जैसा भाभी बुलाते हो. शर्मिला बुलाओ, इतना अच्छा नाम है.’’

‘‘तो उन्हें बताइए मुझे प्रकाश नाम से बुलाए.’’

‘‘ओफ्फो, तुम दोनों भी न...बताता हूं उसे, लेकिन हम दोनों आज शौपिंग करने जा रहे हैं. नो मोर डिस्कशन.’’

हम शौपिंग करने गए. उन्होंने मेरे लिए भी अपने जैसा सूट खरीदा. यह मेरे लिए सरप्राइज था. शादी के दिन पहनने की शेरवानी भी दोनों की एकजैसी थी.

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