कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

विद्यावती अनाथालय के भीतर वाले मैदान में कुछ अनाथ बच्चे रबड़ की गेंद से खेल रहे थे. उन की आयु 10-12 वर्ष थी. वे निशाना साध कर एकदूसरे की पीठ पर गेंद से प्रहार करने का प्रयत्न करते थे और बचतेबचते इधरउधर भाग रहे थे. जब गेंद किसी बच्चे की पीठ पर लगती तो सब एकसाथ शोर मचाने लगते.

थोड़ी ही दूर सब से अलगथलग एक नन्हा बच्चा बैठा हुआ था. उस की उम्र लगभग 5 वर्ष थी. उस का ध्यान गेंद से खेल रहे बच्चों की तरफ नहीं था. वह अपनेआप में मस्त जमीन पर बैठा घास के साथ खेल रहा था. सूख कर टूटे और बिखरे हुए घास के तिनकों को उठा कर वह हरीभरी घास में मिलाने का प्रयत्न कर रहा था. वह कभी मुसकरा देता और कभी उदास हो जाता.

‘डगडग, डगडग…’ उसे आश्रम के बाहर सड़क की ओर से आती ध्वनि सुनाई पड़ी. तभी उस की तंद्रा टूटी. उस ने सिर उठा कर देखा.

सामने अनाथालय का लोहे की सलाखों का मुख्यद्वार था. मोटीमोटी सलाखों में थोड़ाथोड़ा फासला था. जब किसी को भीतर या बाहर आनाजाना होता तो चौकीदार उसे खोलता था. नजदीक ही टिन का एक छप्पर बना हुआ था, जहां चौकीदार बैठता था.

‘डगडग, डगडग…’ ध्वनि अब करीब से सुनाई दे रही थी. वह नन्हा एकटक उसी ओर निहार रहा था. अचानक वह उठा और मुख्यद्वार की ओर चल पड़ा.

लोहे की सलाखों के बीच में से उस ने देखा कि एक महिला सिर पर टोकरी उठाए जा रही है और उस के पीछे एक खिलौना गाड़ी सरक रही है.

उस महिला ने एक मोटे धागे से खिलौना गाड़ी को बांध रखा था और धागा अपने हाथ में पकड़ रखा था. लकड़ी की 2 पतली डंडियां उस गाड़ी पर बारीबारी से प्रहार करती थीं. इसी कारण ‘डगडग, डगडग’ की ध्वनि उभर रही थी.

वह उच्च स्वर में बोल रही थी, ‘‘खिलौना गाड़ी ले लो, खिलौना गाड़ी…’’

नन्हे का ध्यान उस खिलौना गाड़ी वाली महिला की तरफ नहीं था. उस का ध्यान तो उस की आवाज, गाड़ी के स्वर और खिलौना गाड़ी पर केंद्रित था.

जैसे ही खिलौना गाड़ी छोटेछोटे 4 पहियों पर सरकती हुई द्वार के सामने से गुजरी, नन्हा द्वार की मोटी सलाखों के छोटे फासले में से घुस कर सरकता हुआ द्वार से बाहर निकल गया.

चौकीदार कुछ दूरी पर बैठा हुआ था. मैदान के दूसरी ओर कुछ महिलाएं और पुरुष मीठी धूप का आनंद उठाते हुए गपशप में मशगूल थे. वे अनाथ बच्चों के शिक्षक व संरक्षक थे. किसी का भी ध्यान उस नन्हे बालक की तरफ नहीं गया.

सड़क पर कई वाहन आजा रहे थे. फुटपाथ पर आगेआगे वह महिला जा रही थी, उस के पीछे ‘डगडग’ करती खिलौना गाड़ी सरक रही थी. उन के पीछे नन्हा अपने नन्हे पांवों से लंबे डग भरने का प्रयत्न करते हुए उस गाड़ी को पकड़ने की भरपूर कोशिश कर रहा था. 3-4 बार वह इस कोशिश में नाकाम हो चुका था.

धीरेधीरे फासला बढ़ता गया. वह महिला और खिलौना गाड़ी दूर निकल गई. नन्हा काफी पीछे छूट गया. अब खिलौना गाड़ी उस की आंखों से ओझल हो गई थी.

सड़क पर बहुत भीड़ थी. स्कूटर, साइकिलें, कारें और ट्रक एक तरफ से दूसरी तरफ भागे जा रहे थे. फुटपाथ पर भी आमदरफ्त करते लोगों की भीड़ थी. परंतु नन्हा एकदम अकेला था. वह अकेला ही किसी अनजान डगर की ओर बढ़ता चला जा रहा था. वह नन्हा मुसाफिर कई बार ठोकरें खा कर गिरा, उठा और फिर चल पड़ा.

चलतेचलते अचानक उसे ‘चऊंचऊं, चऊंचऊं’ का स्वर सुनाई दिया. रुक कर उस ने इधरउधर नजर दौड़ाई परंतु कुछ दिखाई नहीं दिया. जैसे ही वह आगे बढ़ने लगा, स्वर फिर सुनाई दिया.

इस बार उस की नजर एक जगह पर जा कर टिक गई. उस ने देखा कि नाली के किनारे एक छोटे पिल्ले की टांग एक छोटे से पत्थर के नीचे दबी हुई है. शायद इसी कारण वह पीड़ा से कराह रहा था.

नन्हा धीरेधीरे उस के पास गया. उस ने पत्थर को अपने नन्हे हाथों से दूसरी तरफ सरका दिया, पिल्ले की टांग छूट गई. वह हर्षित हो कर पूंछ हिलाता हुआ नन्हे के पांव चाटने लगा. शायद वह उस का शुक्रिया अदा कर रहा था.

‘‘शैतान पप्पी, पीछे हट,’’ नन्हे ने धीरे से कहा. उस के नंगे पांवों में गुदगुदी होने लगी. वह धीरे से हंसा. हंसना उसे भला लगा. वह और जोर से हंसने लगा. पप्पी भी सिर हिलाता हुआ नाचने लगा. जोर से हिलती हुई उस की दुम उस के खुश होने का इजहार कर रही थी. 2 अजनबियों में पलभर में मित्रता हो गई.

नन्हे को एक साथी मिल गया. अब वह दुनिया के मेले में अकेला नहीं था. वह फुटपाथ पर आगे बढ़ने लगा. पप्पी भी दुम हिलाता हुआ उस के पीछेपीछे चलने लगा.

सड़क की दूसरी तरफ फुटपाथ पर कोई पुरुष गुब्बारे बेच रहा था. नन्हे ने जब लाल, पीले, नीले गुब्बारे देखे तो उस का मन उन्हें पाने के लिए ललचा उठा. पप्पी कभी गुब्बारों को देखता, कभी नन्हे को, तो कभी आतेजाते वाहनों को. सड़क पार करने में उसे खतरा महसूस हुआ.

नन्हा अभी तक गुब्बारों को ललचाई निगाहों से देख रहा था. जैसे ही वह गुब्बारे को पाने के लिए सड़क पार करने लगा, उसी वक्त पप्पी उस के सामने आ गया और उस के पांवों पर जीभ से गुदगुदी करने लगा.

उस का ध्यान गुब्बारों से हट गया. वह जोरजोर से हंसने लगा. अचानक पप्पी फुटपाथ पर भागने लगा. नन्हा भी उस के पीछे भागा. पप्पी नन्हे को पीछे भगाते हुए उस गुब्बारे वाले से काफी दूर ले गया. फिर दोनों बैठ कर हांफने लगे. नन्हा अब गुब्बारों को भूल गया था इसलिए पप्पी भी निश्ंिचत था.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...