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“साहब, मेरी बेटी 10 दिनों से लापता है. साहब, कुछ करो,” अपनी बेटी की फोटो पुलिस के आगे बढ़ाते हुए वह शख्स घिघियाते हुए बोला. लेकिन हर बार की तरह पुलिस ने उस फोटो को अनदेखा कर कहा-

“कितनी बार कहा कि तेरी बेटी गायब नहीं हुई, भाग गई है किसी के साथ. आना होगा, तो खुद ही आ जाएगी. अब जाओ यहां से वरना पकड़ कर जेल में डाल दूंगा. चले आते हैं कहांकहां से,” यह बोल कर उस पुलिस वाले ने डंडा घुमाया.

पुलिस के सामने तो अच्छेअच्छों की बोलती बंद हो जाती है, फिर वह तो एक गरीब आदमी था. लड़खड़ाते कदमों से आंखों में आंसू लिए वह वहां से निकल आया. नहीं तो बेकार में उसे पुलिस के डंडे खाने पड़ते और अब उस के शरीर में मार खाने की ताकत नहीं बची थी. वह राजन मिश्रा तो पहले ही मारमार कर उसे अधमरा कर चुका है. इतने जुल्म ढाए थे उस पर कि अब पुलिस के डंडे खाने की ताकत उस में नहीं थी.

लेकिन फिर भी किसी तरह अपने पैरों को घिसेटता वह रोज पुलिस स्टेशन पहुंच जाता और गुहार लगाता अपनी खोई हुई बेटी के लिए. लेकिन निराश हो कर खाली हाथ लौट आता. पुलिस वालों को भी अच्छे से पता है उस की बेटी कहां हैं, किस ने गायब किया उसे. पर पुलिस उस की मदद नहीं कर रही क्योंकि पुलिस भी उसी की ही सुनती है जिस के पास पैसा और पावर होता है. गरीब लोगों के तो भगवान भी नहीं होते. वे भी उन्हीं की सुनते हैं जो लाखों का चढ़ावा चढ़ाते हैं. आज महीना से ऊपर हो गया है, लेकिना अब तक उस आदमी की बेटी का कुछ अतापता नहीं.

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