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अब उन की समझ में आया कि वह अनाम सा आकर्षण क्या था? अब वह समझे कि अपरिचय के बावजूद उन्हें कौन सा आकर्षण उस महिला की ओर खींच रहा था. यह आकर्षण सुंदरता का ही था. परंतु यह सुंदरता देह की नहीं, हृदय की सुंदरता थी, जो देह के माध्यम से ही फूट रही थी. वह इस आकर्षण को महसूस तो कर रहे थे, परंतु समझ नहीं पा रहे थे. अब जब समझ पाए हैं तो उन के मनमस्तिष्क की सारी धूल अपनेआप झड़ गई है. उन्हें लगा कि शीतलमंद सुगंधित पवन उन्हें छू कर बहने लगी है.

महिला ने आगे बताया,'मेरा नाम प्रमिला है. मैं मिडिल स्कूल में हैडमास्टर हूं. मेरे पति प्राइवेट कंपनी में दूसरे शहर में जौब करते हैं. बच्चों के साथ मैं पिताजी के पास ही रहती हूं. मेरे 2 बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी.'उस ने आगे यह भी बताया"बेटा और बेटी अब काफी समझदार हो गए हैं और उम्र में छोटे होने के बावजूद अपनी देखभाल खुद करने के साथ ही घर के कामों में मेरी मदद भी करने लगे हैं. परंतु पिताजी अब असहाय हो गए हैं, क्योंकि वे कुछ दिनों पहले लकवाग्रस्त हो गए हैं. वे बोल नहीं पाते हैं और ना ही चलफिर सकते हैं. माताजी एक साल पहले ही हमारे बीच नहीं रहीं. अब मैं ही उन की देखभाल करती हूं. उन के दोनों पांव और उन का बायां हाथ पूरी तरह अपंग हो गए हैं. दाहिना हाथ बिलकुल दुरूस्त है. आंखें भी ठीक हैं, और दिलदिमाग भी चुस्त है. तो अब वे खूब पढ़ते हैं और खूब कविताएं लिखते हैं. उन्हें अपनी पसंद के कवियों और लेखकों की कविता और कहानियां बारबार पढ़ने में आनंद आता है.

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