जैसेजैसे समय बीतता जा रहा था, झूठ बोलने के बावजूद अंजना सब समझ गई थी... नरेश और उस के अन्य मित्र भी भावेश के बारे में कुछ नहीं बता पा रहे थे. अंजना पर इस बात का ऐसा असर हुआ कि उस ने खानापीना छोड़ दिया. यहां तक कि दवा खाने से भी उस ने मना कर दिया. उस की ऐसी हालत देख कर एक दिन सास पुष्पा उस से बोलीं, 'बेटी, मैं तेरी दोषी हूं, मुझ से गलती हुई है, इस का प्रतिकार भी मुझे ही करना होगा. मुझे पूरा विश्वास है, भावेश एक दिन अवश्य आएगा. वह तुझ से बहुत प्यार करता है. आखिर कब तक वह तुझ से दूर रह पाएगा, पर बेटा उस के लिए तुझे जीना होगा. यों खानापीना छोड़ने से तो किसी समस्या का हल नहीं निकलेगा. कुछ दिन और देख लेते हैं, वरना फिर पुलिस में कमप्लेंट करवाने के साथ पेपर में भी इश्तिहार देंगे...’
सासू मां की बात मान कर अंजना ने थोड़ा खाने की कोशिश की, पर उसे उलटी हो गई. ऐसा एक बार नहीं, बल्कि कई बार होने पर पुष्पा ने उसे डाक्टर को दिखाने का निर्णय लिया और वे अंजना को ले कर डाक्टर को दिखाने उन के नर्सिंगहोम गईं...
‘डाक्टर साहब, मेरी बहू ठीक तो है...’ पुष्पा ने डाक्टर के चैक करने के बाद पूछा. ‘हां, हां, बिलकुल ठीक है... मिठाई खिलाइए... आप दादी बनने वाली हैं...’ ‘क्या...?’
‘बिलकुल सच अम्मां... आप दादी बनने वाली हैं.’ डाक्टर को दिखा कर सासबहू दोनों कमरे से निकली ही थीं कि एक नर्स दौड़ती हुई आई और बगल के केबिन में घुसते हुए बोली, ‘डाक्टर साहब, उस पेशेंट को होश आ गया है...’