‘‘10 बजे लेने आ जाएगा.’’
लड़कियां ढोलक ले कर बैठ गईं. गीत और डांस होने लगा. फाकिरा ने कहा, ‘‘चल आ नीचे की रौनक देख कर आते हैं.’’
शामियाने में स्टेज सज रहा था. फाकिरा ने एक स्मार्ट से नौजवान से मिलाते हुए कहा, ‘‘ये मेरे कजिन शाहनवाज हैं. और ये मेरी प्यारी दोस्त हुस्ना है.’’
शाहनवाज खूबसूरत लड़का था, उस ने खासे महंगे कपड़े पहन रखे थे. उस ने हाथ मिलाने को हाथ बढ़ाया तो मैं झिझक गई. उस ने आगे बढ़ कर मेरा हाथ थाम लिया और गर्मजोशी से कहा, ‘‘अरे फाकिरा, तुम्हारी दोस्त इतनी खूबसूरत है. इसे कहां छिपा कर रखा था? मोहतरमा आप से मिल कर दिल खुश हो गया.’’
मैं क्या कहती. वह फिर बोला, ‘‘गरमी लग रही है, आओ चलो आइसक्रीम खा कर आते हैं.’’
मैं इनकार करती रही. दोनों मुझे हाथ पकड़ कर कार में ले गए. हम ने साथ बैठ कर आइसक्रीम खाई, वह भरपूर नजरों से मुझे देखता रहा. उस की बेतकल्लुफी देख कर मैं हैरान थी. फिर मैं ने सोचा बड़े लोगों में ऐसा ही होता होगा.
हम वहां से लौट कर आए तो मैं ने दूर से रशीद को खड़े देखा. पर मैं उसे नजरअंदाज कर के आगे बढ़ गई. शाहनवाज ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, ‘‘तुम वापस कैसे जाओगी?’’
मैं ने कहा, ‘‘मेरा कजिन लेने आएगा.’’
‘‘अगर वह न आता तो मैं तुम्हें छोड़ आता. कल जरूर आना, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा.’’ उस ने शोखी से कहा.
उस लड़के ने मुझ में ऐसा क्या देख लिया कि मुझ पर फिदा हो गया. मेरा दिल भी उस की तरफ खिंच रहा था. उबटन शुरू हो चुका था. हम ने एक रस्म निभाई और खाने की तरफ बढ़ गए. मैं ने फाकिरा से पूछा, ‘‘ये तुम्हारा कजिन कुछ काम करता है या पढ़ता है.’’
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