एक बार देखने पर रीवा को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ. सो उस ने दोबारा दर्पण में देखा और पूरा ध्यान अपनी आंख के उस कोने पर केंद्रित किया जहां पर उसे संदेह था, क्या त्वचा की यह सिकुड़न उस की बढ़ती आयु को दिखा रही है, कहीं यह झुर्री तो नहीं है? हां, यह झुर्री ही तो है.
‘खुश रहा करो, तनाव लेने से ऐसी झुर्रियां आती हैं चेहरे पर,’ यह सुना था रीवा ने लेकिन तनाव तो वह लेती नहीं.
‘बहुत से तनाव लिए नहीं जाते पर वे हमारे अंतर्मन में इस तरह बैठे होते हैं कि चेहरे पर अनजाने में ही अपनी छाप छोड़ जाते हैं,’ कहा था एक बार रीवा की सहेली सिमरन ने.
‘कोई बात नहीं, अब हम और भी अनुभवी कहलाएंगे इस हलकी सी झुर्री के साथ,’ 48-वर्षीया रीवा ने मुसकराते हुए अपनेआप से कहा.
रीवा की आयु भले ही बढ़ गई हो पर उस के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का भंडार था. गिलास आधा खाली या भरा में से उस ने सदैव ही भरे गिलास को चुना था. जीवन की हार को भी अच्छे शब्दों में परिभाषित कर के उसे एक अच्छा आयाम दे देना रीवा के व्यक्तित्व का मुख्य हिस्सा था.
अभी रीवा आईने के सामने से हट नहीं पाई थी कि उस का मोबाइल बज उठा. मोबाइल पर एक निश्चित रिंगटोन के बजने से ही रीवा को पता चल गया था कि यह फोन सुबाहु का था. रीवा जब तक मोबाइल उठाती तब तक मोबाइल कट गया पर रीवा के डायल करने से पहले ही दोबारा कौल आ गई, उधर से सुबाहु का व्यग्र स्वर था-