“फाइनली आज मुझे भरोसा हो ही गया हमेशा से सुनी इस बात पर कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं,” अश्लेषा ने अपना बैग डायनिंग टेबल पर रखते हुए कहा.
“ऐसा क्या हो गया जो आज तुम इतनी खुश और संतुष्ट दिख रही हो,” पति श्लोक ने अपनी टाई खोलते हुए कहा.
“आज की न्यूज ने मुझे मेरे जीवन के प्रत्येक संघर्ष का जवाब दे दिया है. मैं ही नहीं, तुम भी सुनेगो तो तुम भी खुश हुए बिना नहीं रह पाओगे,” कहते हुए पति श्लोक के गले में अपनी दोनों बाहें डाल अश्लेषा लगभग झूल सी गई.
“चलो तुम हाथमुंह धो कर फ्रैश हो जाओ, मैं चाय बना कर लाती हूं, फिर बालकनी में बैठ कर बात करते हैं.”
“हां बिलकुल, मैं मुन्ना हलवाई के गरमागरम समोसे ले कर आया हूं, बैग से निकालो और लगाओ. मैं फ्रैश हो कर बालकनी में चेयरकुरसी सैट करता हूं.”
कुछ देर बाद वे दोनों भोपाल का पौश एरिया कहे जाने वाले चारइमली के बंगला न 204 के गार्डन में बैठे चाय पी रहे थे. चाय का पहला घूंट लेने के बाद अश्लेषा बोली, “आज अनिमेष को सर्विस से टर्मिनेट कर दिया गया, साथ ही, कोर्ट ने 4 लाख रुपए का मुचलका और 2 साल की सजा भी सुनाई है.”
“क्या बात कर रही हो, यह तो हमारी बहुत बड़ी जीत है. देखा, मैं हमेशा कहता था न कि तुम हिम्मत मत हारो, इस संसार में प्रत्येक इंसान को अपने कर्मों का फल हर हाल में मिलता ही है. अब निकल गई न उस की सारी अकड,” श्लोक ने खुश होते हुए कहा.