‘‘कुछ नहीं. मैं और मेरियन. हम दोनों भी यहीं रहेेंगे. क्योंकि मेरियन के पास अपना खुद का कोई घर नहीं है. तुम अपने तरीके से यहां रह सकती हो. जो जी में आए, करो और खुश रहो,’’ अंगद ने उदारता दिखाते हुए कहा.
मीरा 2-3 मिनट मौन रही. फिर एकाएक जोरों से हंस पड़ी.
अंगद बुत की तरह उसे हंसते हुए देखता रह गया. यह औरत पागल तो नहीं है? रोने के बजाय हंसती है? उस ने तो सोचा था कि मेरियन की बात सुनते ही वह एक आम भारतीय नारी की तरह रोनेधोने लगेगी. उस को भलाबुरा बोलेगी. मेरियन को भी कुछ सुनाएगी. पर इसे तो मानो कुछ असर ही नहीं है. मेरियन को भी आश्चर्य हुआ. अंगद ने तो उस से कुछ और ही कहा था.
अंगद से रहा न गया. उस ने पूछा, ‘‘तुम्हें ये बात सुन कर दुख नहीं हुआ? हंसी क्यों आई?’’
‘‘सच बात बताऊं?’’
अंगद मीरा को देखता रहा.
‘‘अरे, आप ने तो मेरी प्रौब्लम हल कर दी. अंगद, सच बात यह है कि मैं भी शादी से पहले किसी और से प्यार करती थी. यह शादी मेरी भी इच्छा के खिलाफ हुई थी. मेरे प्रेमी माधव की पढ़ाई पूरी होने में अभी 2 साल बाकी हैं. इसीलिए कैसे भी कर के मुझे 2 साल तक प्रतीक्षा करनी थी. मैं उलझन में फंसी हुई थी, लेकिन तुम ने तो मेरी मुश्किल आसान कर दी, थैंक्स अंगद. यह तो बहुत अच्छी बात हुई. हम दोनों एक ही नाव के यात्री निकले.’’
‘‘क्या? क्या तुम सच कहती हो?’’ अंगद को जैसे विश्वास नहीं हुआ.