कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पीड़ा और विश्वासघात या तो पराजित कर देते हैं या एक शक्ति प्रदान करते हैं. और वह शक्ति वेदना को प्रेरणा की दृष्टि प्रदान कर देती है. आज सोचती हूं तो लगता है, किन परिस्थितियों में मैं ने अपने स्वप्नों की मृत्यु को होते देखा और फिर अपनी बुझती जीवनज्योति को फूंकफूंक कर कुछ देर और जीवित रखने की चेष्टा करती रही.

मैं बचपन से ही साहसी रही हूँ. मेरे मम्मीपापा मेरा विवाह विनय से करना चाहते थे. शूरू में मुझे भी विवाह से कोई आपत्ति नहीं थी. मेरे एमएड पूरा होने के बाद हमारा विवाह होना तय हुआ. सरल स्वभाव का विनय मेरा अच्छा मित्र था. किंतु हमारे मध्य प्रेम जैसा कुछ नहीं था. उस समय मेरा मानना था कि मित्रता, विवाह के पश्चात प्रेम का रूप खुद ही ले लेगी. परंतु तब मैं कहां जानती थी कि प्रेम एक ऐसी वृष्टि का नाम है जो अबाध्य है. जब उज्ज्वल नाम का एक बादल मेरे तपते जीवन में ठंडक ले कर आया, मैं पिघलती चली गई थी.

मेरा बंजर ह्रदय उज्ज्वल के प्रेम की वर्षा में भीग गया और मम्मीपापा के निर्णय के खिलाफ़ जा कर मैं ने उज्ज्वल से विवाह कर लिया था. हमारे विवाह के समय तक मेरी नौकरी एडहौक टीचर के रूप में एक प्राइवेट कालेज में लग गई थी. उज्ज्वल चार्टर्ड अकाउंटेंट था. थोड़े से विरोध के बाद दोनों परिवारों ने हमारा रिश्ता मंजूर कर लिया. हम प्यार में थे, खुश थे.

परिवर्तन एक दैनिक प्रक्रिया है. हमारा जीवन भी बदला. विवाह के 12 वर्ष सपनों की नदी पर नंगेपैर चलते हुए पार हो गए.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...