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प्राची ने निधि के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए सुबह से ही तैयारी शुरू कर दी थी. विहान के आ जाने से निधि खुद को पूर्ण सम झ पा रही थी. ननद रागिनी और उस की सास ने भी फोन पर बधाई के साथ घर लौट आने के लिए कहा. इन दिनों छाए एकाकीपन ने निधि के दंभ और अहं को खोखला कर दिया था. आज निधि बारीकी से प्राची भाभी की उस जादुई पकड़ को देख रही थी जिस ने पूरे घर को एकता के सूत्र में बांध रखा था. कल की अनगढ़ लड़की ने अपने धैर्य, संयम और अपनेपन से पूरे घर पर सहज अधिकार कर लिया था. जबकि उस ने खुद अपने दायरे विस्तृत करने के लिए कभी प्रयास ही नहीं किए. नतीजा... अपने ही घर वालों से मिला अजनबीपन उसे खालीपन से भरता गया. रात देर तक प्रभादेवी प्राची के साथ रसोई में लगी रहीं.

‘‘मम्मी, आप अब आराम कर लीजिए, मैं निबटा दूंगी बचा काम,’’ कहते हुए प्राची ने उन्हें भेज दिया.

रात को विहान पानी लेने आए तो हैरान रह गए, साकेत और प्राची बातें करते हुए रसोई के बरतन लगा रहे थे.

‘‘ओहो, साले साहब, बीवी की गुलामी की जा रही है,’’ विहान के मजाक पर दहला मारते हुए साकेत ने कहा, ‘‘जीजाजी, बीवी की गुलामी के बड़े फायदे हैं. बीवी का साथ और जीवन में रोमांस बना रहता है.’’

साकेत की मजाक में कही बात की सार्थकता प्राची भाभी के चेहरे की रौनक पर विहान को महसूस हुई. देर रात कौफी पीते हुए गपों के बीच ही प्राची ने निधि से कहा, ‘‘दीदी, आज कितनी रौनक है. इस रौनक की आप हकदार हैं, वादा कीजिए यह रौनक सदा बरकरार रहेगी.’’ निधि को मौन देख प्राची बोली, ‘‘इतना मत सोचिए, समस्या इतनी बड़ी नहीं है कि जिस का हल न हो. जीवन में हर छोटीबातों के ऐसे बड़े मतलब नहीं निकालने चाहिए जिन के बो झ तले हम खुद को दबा महसूस करें. हर घर के अलग नियमकानून होते हैं. बस, एक चीज समान होती है, घर के सदस्यों का एकदूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण. आप घर के हर पुरानेनए रिश्तों को मानसम्मान दीजिए, यकीन मानिए, वे सभी रिश्ते आप को यों गले लगाएंगे कि पराएपन को ठहरने के लिए जगह ही नहीं मिलेगी. जिस तरह मैं ने अपनी मम्मी की हर बात को सास के मुंह से निकला सूक्तिबाण महसूस न कर एक मां की हिदायत सम झ कर उसे अपने जीवन में उतारा. वैसे ही आप भी विहानजी की मम्मी की हर टोके जाने वाली बात का बुरा मानना छोड़ दीजिए. इन बड़े लोगों के पास उम्र और तजरबों का खजाना होता है. उस का फायदा हम नहीं लेंगे तो और कौन लेगा.’’

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