प्राची उफान लाते दूध को संयम से उबाल रही थी. तभी कौलबेल की आवाज आई. जल्दी से गैस बंद कर के वह बाहर की ओर भागी, तब तक दरवाजा सास प्रभादेवी ने खोल दिया था. सब की आश्चर्य का केंद्र बनी निधि दनदनाती अंदर आई. वह इतने आवेग में थी कि पीछे चले आ रहे विहान की मौजूदगी की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं गया. यों सुबहसुबह बिना किसी सूचना के बेटीदामाद का अचानक आना किसी के गले नहीं उतरा. कारण था, निधि का उखड़ा मूड और विहान की बेचारगी भरे हावभाव. ऐसे में प्रभादेवी का अनायास अचानक आने का कारण पूछना, निधि को आहत कर गया.
‘‘मम्मी, अपने घर आई हूं, किसी और के नहीं.’’ उस वक्त घर के दामाद विहान ने बात संभाली, ‘‘निधि आप लोगों से मिलना चाहती थी. कार्यक्रम इतनी जल्दी में बना कि खयाल ही नहीं रहा कि बता पाते.’’
विहान की बात का समर्थन घर की बहू प्राची ने किया, ‘‘अरे, सरप्राइज देने में जो मजा है, वह बता कर आने में कहां है.’’
निधि के तेवर और उखड़े मूड से प्रभादेवी बेटीदामाद के घर आने से होने वाली रौनक को दिल से महसूस नहीं कर पा रही थीं. प्रभादेवी का संदेह जल्दी सही साबित भी हो गया, जब चाय पीने के बाद ही विहान ने अपने घर वापस जाने की पेशकश की तो निधि ने उन्हें नहीं रोका. निधि का विहान के प्रति रूखा व्यवहार प्रभादेवी की बरदाश्त से बाहर था, ‘‘क्या बात है निधि, कुछ हुआ है क्या तुम लोगों के बीच में.’’ प्रभादेवी की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि विहान और निधि के बीच आरोपप्रत्यारोप की ऐसी बरसात हुई कि प्रभादेवी ने अपना सिर पकड़ लिया.
मनमुटाव की वजहें छोटीछोटी थीं. मसलन, विहान की मां द्वारा हर बात पर निधि को टोका जाना. निधि के कथनानुसार, विहान का उसे सम झने की कोशिश न करना और घर की हर छोटीबड़ी जिम्मेदारियों के लिए उसे तलब करना… ‘‘मम्मी, कोई बातबात पर मु झे टोके, मैं बरदाश्त नहीं कर सकती हूं. मेरी अपनी जिंदगी, अपना वजूद है. मैं किसी के लिए खुद को नहीं बदल सकती हूं.’’
निधि शिकायत कर रही थी तो वहीं विहान भी पीछे नहीं था, ‘‘मम्मी, आप ही बताएं, मैं क्या करूं. मेरी मम्मी का अपना तरीका है काम करने का, वे निधि को कुछ सिखाने की कोशिश करती हैं तो यह चिढ़ जाती है. निधि को वहम है कि मम्मी इसे पसंद नहीं करती हैं जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है. इतने सालों से मम्मी घर चला रही हैं तो उन के अनुभवों की थोड़ी तो कद्र हो. मेरी बहनें ये सोच कर मायके आती हैं कि भाभी से बोलबतिया कर कुछ हंसीमजाक करेंगी. पर निधि उन से घुलमिल नहीं पाती है. पहले लगता था कि दूसरे घर से आने के कारण यह हमारी फैमिली के साथ एडजस्ट नहीं हो पा रही है लेकिन अब ऐसा लगता है कि निधि जानबू झ कर हम सब के साथ एडजस्ट नहीं होना चाहती है. मम्मी का कुछ भी बतानासिखाना इसे टोकाटाकी लगता है, क्या यह सही है?’’
जब दोनों जीभर कर बोल लिए तब प्रभादेवी और प्राची ने आपसी वार्त्तालाप के जरिए निधि को सम झाने की कोशिश की, ‘‘निधि, क्या मैं ने टोकाटाकी नहीं की थी प्राची के साथ…’’ प्रभादेवी की टिप्पणी पर प्राची ने तुरंत कहा, ‘‘मम्मी, आप की टोकाटाकी ने ही मुझे काम का सलीका सिखाया है. मेरा मानना है कि बड़ों के पास तजरबों का खजाना होता है, जिसे वे अपनों पर ही लुटाते हैं. ऐसे में हमें उन के तजरबों का फायदा उठाना चाहिए. मैं आप की टोकाटाकी को सकारात्मक नहीं लेती तो नुकसान अपना ही करती.’’ प्राची का बोलना था कि निधि उसी वक्त पांव पटकते हुए वहां से चली गई. विहान अपने घर के उल झे मसलों को यों खुलेआम चर्चा का विषय बनते देख कर शर्मिंदा हो रहे थे. ऐसे वातावरण से विहान जल्दी निकलना चाहते थे. उन्होंने प्राची से कहा, ‘‘भाभी, आज मैं 10 बजे तक निकल जाऊंगा.’’