तीनों उठ कर बाहर निकलने लगे तो डा. सक्सेना ने अविनाश को रोका, ‘सर्राफ साहब, एक मिनट.’
कुछ गड़बड़ होने का यह पहला मौका था. उस के बाद रोजरोज माथे और कान के नीचे की त्वचा का रंग बदलने लगा. महंगीमहंगी ट्यूब्स, क्रीम के बाद तमाम घरेलू उपचार, जड़ीबूटी, तरहतरह के लेप, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. जब पहली बार श्रुति को पता चला कि उसे सफेद दाग हुआ है तो वह चीख उठी थी, साधना भी फफक पड़ी थीं. अभी तो बेटी की जिंदगी शुरू ही हुई थी और उस के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया. अब इस का क्या होगा? खूबसूरती का खजाना श्रुति को न जाने किस की नजर लग गई थी.
जिस सुंदरता पर श्रुति को गरूर था, उस में दाग लग गया था. सफेद दाग फैलने लगा. धीरेधीरे चेहरे, गले और फिर हाथों तक फैल गया था. वह समय अभी कहां दूर गया था जब उस के चेहरे पर पड़ने वाली नजर हटती नहीं थी. वही श्रुति अब आईने में अपना चेहरा देख कर कांप उठती थी. भविष्य के लिए देखे गए सपने सफेद दाग के इस तूफान में उड़ गए थे. अब उस पर डिप्रैशन की सुनामी आ गई थी. बाहर के सारे संपर्क उस ने खत्म कर दिए थे. वह अपने कमरे में अकेली पड़ी रहती थी. कालेज का फाइनल सैमेस्टर का परिणाम आया तो उस का पहला नंबर था. लेकिन वह किसी भी फौरमैलिटी के लिए कालेज नहीं गई थी. उस ने अपने सभी दोस्तों और सहेलियों से मिलने से भी मना कर दिया था. अब श्रुति का क्या होगा, इस चिंता में उस के मांबाप की नींद उड़ गई थी.
परिणाम आने के 6-7 महीने के बाद अचानक एक रात डाइनिंग टेबल पर श्रुति ने कहा, ‘पापा, मैं नौकरी करना चाहती हूं. मैं यह शहर छोड़ कर दिल्ली जाना चाहती हूं.’
‘क्या?’ अविनाश ने हैरानी से पूछा. जबकि साधना कुछ बोल नहीं पाई. अविनाश की आवाज सहज भारी होती गई, ‘यह तुम क्या कह रही हो बेटी. तुम्हें नौकरी करने की क्या जरूरत…’
पापा को बीच में ही रोकते हुए श्रुति ने कहा, ‘मेरा डिसीजन फाइनल है पापा, मैं अब बच्ची नहीं रही, कुछ भी करने को स्वतंत्र हूं. जौब के लिए मैं ने औनलाइन अप्लाई किया था, मेरा सलैक्शन हो गया है. इंपैक्ट आईटी कंपनी का हैडक्वार्टर दिल्ली में है. कंपनी रहने के लिए होस्टल भी दे रही है और आनेजाने के लिए गाड़ी भी.’
अविनाश ने थोड़ा चिढ़ कर कहा, ‘मेरी समझ में नहीं आता कि तुम्हें नौकरी करने की जरूरत क्या है?’
साधना ने उन्हें आगे कुछ कहने से मना कर दिया. थोड़ी देर बाद वह श्रुति के कमरे में गई तो उन की दलीलों के जवाब में उस ने अपने मन की सारी बातें रख दीं, ‘मम्मी, यह शहर, कालेज, दोस्त और सगेसंबंधी जिस खूबसूरत श्रुति को जानते हैं वह अब रही नहीं. रोतेरोते मेरे आंसू सूख चुके हैं. अब मेरी समझ में आया है कि अब मैं अनजान शहर में अनजान लोगों के बीच अनजान व्यक्ति के रूप में अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करूं. मैं ने काफी सोचविचार कर यह निर्णय लिया है. प्लीज, आप लोग मुझे रोकिए मत. मेरे चेहरे का यह दाग मुझे यहां चैन से रहने नहीं दे रहा है.’
शेयर बाजार के दिग्गज अविनाश सर्राफ, जो सेंसैक्स के गिरने पर भी परेशान नहीं होते थे, वे बेटी के इस निर्णय से परेशान हो गए. सफेद दाग से कुरूप हुई अपनी इकलौती बेटी के लिए उन के मन में सब से बड़ा सवाल यह था कि उस से शादी कौन करेगा. 7 साल का समय दिल वालों की नगरी दिल्ली में कैसे बीत गया, श्रुति को पता ही नहीं चला. श्रुति अब तक 27 साल की हो चुकी थी. अपनी इस कुरूपता के साथ उस ने जीना सीख लिया था. उस ने नौकरी नहीं बदली थी, इसलिए कंपनी में अब तक वह वहां सीनियर मैनेजर हो गई थी. साधना और अविनाश ने न जाने कितनी जगहों पर अपने से गरीब परिवारों में भी श्रुति के विवाह की कोशिश की थी, लेकिन उस के सफेद दाग की वजह से सभी ने मना कर दिया था. पतिपत्नी परेशान रहते थे कि वे बेटी की शादी के लिए क्या करें.
एक रविवार की शाम को श्रुति के फ्लैट की घंटी बजी तो उस की तंद्रा भंग हुई. श्रुति ने दरवाजा खोला तो बाहर प्रहर खड़ा था. उसे अंदर आने की जगह देते हुए उस ने हैरानी से कहा, ‘‘प्रहर, तुम यहां?’’
‘‘हां, आज पहली बार यहां आया हूं और पहली बार एक बात भी कहना चाहता हूं.’’
‘‘मोस्ट वैलकम, प्रहर. लेकिन ऐसी कौन सी बात है जिसे तुम औफिस के बदले यहां कहने चले आए?’’
‘‘घर बसाने की बात, यह बात औफिस में नहीं कही जा सकती थी न?’’
‘‘क्या?’’ श्रुति ने हैरानी से पूछा.
‘‘हां श्रुति, यह सच है कि मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’