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‘‘पर मैं एक बार उन से मिलना चाहूंगा,’’ पिता ने कहा.

रागिनी बोली, ‘‘ठीक है, आप जब कहें उसे बुला लेती हूं.’’

पिता ने कहा, ‘‘नहीं, अभी नहीं. मैं खुद जा कर उस से मिलूंगा.’’

लगभग 2 सप्ताह के बाद रागिनी और मदन दोनों अमेरिका लौट गए. दोनों ने वहां नौकरी शुरू की. परंतु दोनों की कंपनियां अमेरिका के 2 छोरों पर थीं. एक की पूर्वी छोर अटलांटिक तट पर तो दूसरे की पश्चिमी छोर प्रशांत तट पर कैलिफोर्निया में. दोनों के बीच हवाईयात्रा में भी 6 घंटे तक लगते थे. इसलिए अब मिलनाजुलना न के बराबर रहा. अब बस इंटरनैट से वीडियो चैटिंग होती थी. इस बीच रागिनी की कंपनी में एक बड़े सेठ के लड़के कुंदन ने नौकरी जौइन की. उसके पिता की मुंबई में ज्वैलरी की दुकान थी. कुंदन बड़े ठाटबाट से अकेले 2 बैड के फ्लैट में रहता था और शानदार एसयूवी का मालिक था. रागिनी की भी अपनी एक छोटी कार थी. रागिनी उस से काफी इंप्रैस्ड थी. एक वीकेंड में कुंदन की गाड़ी में औरलैंडो गई थी. वहां बीच पर एक होटल में एक रात उसी के साथ रुकी थी. फिर उस के साथ एक दिन डिजनी वर्ल्ड की सैर भी की थी. मदन से उस की चैटिंग भी कम हो गई थी. कुंदन के बारे में भी उस ने मदन को बताया था, पर घनिष्ठता के बारे में नहीं.

उधर मदन कैलिफोर्निया में एक स्टूडियो अपार्टमैंट में रहता था. अधिकतर खुद ही खाना बनाता था, क्योंकि उसे फास्ट फूड पसंद न था. एक टू सीटर कार थी. एक दिन अचानक रागिनी ने फोन कर बताया कि वह पापा के साथ शनिवार को मिलने आ रही है और सोमवार सुबह की फ्लाइट से लौट जाएगी.

मदन ने 3 दिन के लिए एक रैंटल कार बुक कर ली थी और बगल वाले स्टूडियो अपार्टमैंट, जो एक मित्र का था, की चाबी ले ली थी, उन लोगों को ठहराने के लिए. शनिवार को मदन एअरपोर्ट से उन्हें रिसीव कर ले आया था. उस दिन का मदन का बनाया लंच तो सब ने घर पर ही खाया पर बाकी खाना होटल में होगा, तय हुआ. खाने का पूरा बिल मदन ही पे करता था.

रागिनी के पिता ने मदन से उस के आगे का प्रोग्राम पूछा तो उस ने कहा, ‘‘अंकल, 1 साल पीटी के बाद हो सकता है मुझे इंडिया लौटना पड़े… अब भाभी की तबीयत कैसी रहती है, उस पर निर्भर करता है. वैसे मेरी कंपनी का मुंबई में भी औफिस है. ये लोग मुझे वहां पोस्ट करने को तैयार हैं.’’

रागिनी के पिता ने जवाब में सिर्फ ‘हूं’ भर कहा था. इस के बाद रागिनी पिता के साथ लौट गई थी.

अब रागिनी कुंदन के साथ अकसर वीकेंड में घूमने निकल जाती. मदन के साथ वीडियो चैटिंग बंद हो गई थी. सप्ताह के बीच में ही छोटीमोटी चैटिंग हो जाती थी. इस बीच रागिनी का बर्थडे आया.

मदन ने एक लेडीज पर्स गिफ्ट भेजा था तो दूसरी तरफ कुंदन ने सोने के इयररिंग्स भेजे थे. दरअसल, यहां न्यू जर्सी में भी उस के रिश्तेदार की दुकान थी. वहीं से भिजवा दिए थे. रागिनी के पिता भी अभी तक वहीं थे. उन्होंने कुंदन के बारे में पूछा तो रागिनी जितना जानती थी उतना बता दिया.

इत्तफाक से इस शनिवार को कुंदन गाड़ी ले कर पहुंच गया था. रागिनी  ने पापा से परिचय कराया. उस ने कहा, ‘‘अंकल, क्यों न हम लोग फ्लोरिडा चलें. कल वहां से रौकेट लौंच हो रहा है. हम लोग रौकेट लौंचिंग भी देख लेंगे.’’

वे तीनों फ्लोरिडा के लिए चल पड़े.

कुंदन ही ड्राइव कर रहा था और पापा आगे बैठे थे. रास्ते में बातोंबातों में उन्होंने कुंदन से अमेरिका में आगे के प्रोग्राम के बारे में पूछा तो वह बोला, ‘‘अंकल, मैं तो यहीं नौकरी कर सैटल होऊंगा. हो सकता है साथ में ज्वैलरी का बिजनैस भी शुरू करूं.’’

कुंदन ने एक चारसितारा होटल बुक कर रखा था. तीनों एक ही कमरे में रुके थे. अगली सुबह रौकेट लौंचिंग देख कर फ्लोरिडा से लौट चले. रागिनी के पापा जब तक वहां रहे कुंदन रोज शाम को होटल से डिनर पैक करा कर घर ले आता था.

एक बार रागिनी से पापा ने पूछा था, ‘‘मुझे तो कुंदन मदन से बेहतर लड़का लगता है. तुम्हारा क्या खयाल है?’’

वह बोली, ‘‘कुंदन अच्छा तो जरूर है पर अभी हम दोस्त भर हैं. अभी उस के मन में क्या है, कह नहीं सकती हूं.’’

पापा ने कहा, ‘‘थोड़ा आगे बढ़ कर उस के मन को भांपो. आखिर इतनी रुचि तुम में वह क्यों ले रहा है… और तुम तो समझ सकती हो कि तुम दोनों बहनों की पढ़ाई पर लाखों रुपए खर्च किए हैं मैं ने सिर्फ इसलिए कि तुम दोनों को कोई कमी न महसूस हो… और मदन अपनी भाभी और भतीजे के साथ मुंबई में ही रहने वाला है.’’

रागिनी बस चुप रही थी. कुंदन रागिनी के पिता के इंडिया लौटते समय उन्हें एअरपोर्ट छोड़ने आया था और रागिनी के मातापिता दोनों के लिए गिफ्ट लाया था.

मदन से उस का संपर्क बहुत कम रह गया था. सप्ताह में 1-2 बार फोन या चैटिंग हो जाती थी. पापा के जाने के बाद रागिनी समझ नहीं पा रही थी कि कुंदन और मदन में से किसे चुने जबकि उस के पापा बारबार कुंदन की तरफदारी कर रहे थे. जो भी हो रागिनी का कुंदन से मेलजोल बढ़ने लगा था और मदन से उस का संपर्क कम हो रहा था.

इसी बीच कुंदन ने एक दिन उसे प्रपोज करते हुए कहा, ‘‘रागिनी, क्या तुम मुझ से

शादी करोगी? सोच लो ठीक से, क्योंकि मैं ने अमेरिका में ही सैटल होने का निश्चय किया है.’’

रागिनी को अमेरिकन जीवनशैली और वातावरण तो पसंद थे, फिर भी कुंदन से उस ने थोड़ा वक्त मांगा था.

उधर उमा भाभी को दिल का दौरा पड़ा था. 4 दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी. उमा के भैयाभाभी ने सब संभाल लिया था.

मदन को भी फोन आया था, खुद उमा ने अस्पताल से बात की थी और कहा था, ‘‘मुन्नू, तू मेरी चिंता मत कर. यहां सब ठीक है.’’

इस के 1 महीने के अंदर ही मदन भारत लौट आया था. मुंबई में ही उस की अमेरिकन कंपनी में पोस्टिंग हुई. आने से पहले उस ने रागिनी से पूरी बात बता कर कहा था, ‘‘मैं तो अब इंडिया लौट रहा हूं और मुझे वहीं सैटल होना है. तुम्हारी भी तो पीटी अब खत्म हो रही है. तुम इंडिया कब आओगी या अभी वहीं नौकरी करनी है?’’

रागिनी असमंजस में थी. कहा, ‘‘अभी तुरंत इंडिया लौटने का प्लान नहीं है. मुझे एच 1 वर्क वीजा भी मिल गया है. अब यहां नौकरी कर सकती हूं. कुछ दिन यहां नौकरी कर देखती हूं. तुम को कुंदन के बारे में बताया था, वह भी इंडिया नहीं जा रहा है. उस को भी एच 1 वीजा मिल गया है.’’

इधर मदन अपनी भाभी और भतीजे के साथ मुंबई में था. भाभी को कोई भारीभरकम काम करना मना था. मदन और भतीजा राजेश दोनों उमा को काम नहीं करने देते थे.

उधर रागिनी के मातापिता उसे कुंदन की ओर प्रेरित कर रहे थे. धीरेधीरे रागिनी भी कुंदन को ही चाहने लगी. कुंदन ने तो अमेरिका में एक बड़ा सा घर भी लीज पर ले लिया था.

एक बार मदन ने फोन पर पूछा, ‘‘रागिनी, आखिर तुम ने इंडिया आने और हमारी शादी के बारे में क्या सोचा है? फैसला जल्दी लेना. मैं तो यहीं रहूंगा.’’

 

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