“इस का कुछ नहीं हो सकता,” झल्लाते हुए मैथ की टीचर ज्योति, जो अभी क्लास ले कर आई थी, ने इस टैस्टपेपर की कौपी शिक्षकों के कौमन रूम में मेरे सामने लगभग पटक दिया और गुस्से से मेरी तरफ देख कर बोली, “आप कैसी क्लासटीचर हैं, आप के क्लास की एक बच्ची रागी कभी भी ठीक से पढ़ती नहीं है? ऐसे बच्चों के कारण क्लास के बाकी बच्चे भी बिगड़ सकते हैं और इस से स्कूल का रिजल्ट भी खराब होगा. आप तो नईनई स्कूल में आई हैं, आप को प्रिंसिपल मैडम से मिल कर इस बच्ची रागी की शिकायत करनी चाहिए.”

मैं ने अपना काम छोड़ कर सिर उठाया तो वहां मौजूद लगभग 4-5 शिक्षिकाओं ने भी ज्योति की हां मे हां मिलाते हुए रागी की शिकायत करना शुरू कर दिया कि “वह कभी साफसुथरे कपड़े पहन कर नही आती, क्लास मे ध्यान नहीं देती, होमवर्क भी नहीं पूरा करती” आदिआदि. स्कूल में संगीत एक अनिवार्य विषय था, जिस से बच्चों के व्यक्तित्व का समुचित विकास हो सके. संगीत शिक्षिका सरोजिनी ने तो प्रिंसिपल मैडम को रागी को स्कूल से निकाल देने की बात भी कह डाली थी. मैं ने उन्हे शांत किया और जल्द ही इस समस्या का समाधान करने का भरोसा दिलाया.

मेरे पति अरुण, जोकि एक बैंक में काम करते है, के बारबार ट्रांसफर होने के कारण मैं भी उन के साथ जगहजगह घूमती रहती थी और इसी बारबार ट्रांसफर के कारण हम ने अपने 12 साल के इकलौते बेटे आदित्य का सैनिक स्कूल में एडमिशन करवा दिया था. अभी अरुण की पोस्टिंग झारखंड के एक छोटे से शहर गिरिडीह में थी. अरुण के बैंक जाने के बाद अपना मन लगाने के लिए मैं ने शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में इंग्लिश शिक्षिका के रूप मे पिछले 10 दिनों से काम करना शुरू कर दिया था. एक सप्ताह में ही मेरी क्षमता को देखते हुए प्रिंसिपल मैडम ने मुझे कक्षा 5 के क्लासटीचर की ज़िम्मेदारी सौंप दी. पिछले 5 सालों से मैं विभिन्न स्कूलों में इंग्लिश पढ़ा रही थी. इस से पहले अरुण की पोस्टिंग आगरा के पास थी, तब मैं ने वहां के एक स्कूल में 2 वर्ष तक उपप्राचार्य का भी काम किया था.

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