साधना जिस तरह देव के साथ सिमटी थी, उसे देख कर पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘आप पतिपत्नी को साथसाथ चलना चाहिए.’’
तभी 3 में से 1 मवाली ने कहा, ‘‘वही तो साब, अकेली औरत, सुनसान सड़क. हम ने सोचा कि...’’
इस से पहले कि उस की बात पूरी हो पाती, थानेदार ने एक थप्पड़ जड़ते हुए कहा, ‘‘कहां लिखा है कानून में कि अकेली औरत, सुनसान सड़क और रात में नहीं घूम सकती है. और घूमती दिखाई दे तो क्या तुम्हें जोरजबरदस्ती का अधिकार मिल जाता है.’’
थानेदार ने कहा, ‘‘आप लोग जाइए. ये हवालात की हवा खाएंगे.’’‘‘तुम यहां कैसे?’’ साधना ने पूछा.
‘‘प्रमोशन पर,’’ देव ने कहा.
‘‘और परिवार,’’ साधना ने पूछा.
‘‘अकेला हूं. तुम्हारा परिवार?’’
‘‘अकेली हूं. भाईभाभी के साथ रहती हूं.’’
‘‘शादी नहीं की?’’
‘‘हुई नहीं.’’
‘‘और तुम ने?’’
‘‘ऐसा ही मेरे साथ समझ लो.’’
‘‘औफिस में तो दिखे नहीं?’’
‘‘कल से जौइन करना है.’’
फिर थोड़ी चुप्पी छाई रही. देव ने बात आगे बढ़ाई, ‘‘खुश हो तलाक ले कर?’’ वह चुप रही और फिर उस ने पूछा, ‘‘और तुम?’’
‘‘दूर रहने पर ही अपनों की जरूरत का एहसास होता है. उन की कमी खलती है. याद आती है.’’
‘‘लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है.’’
‘‘क्यों, क्या हम दोनों में से कोई मर गया है जो देर होचुकी है?’’
साधना ने देव के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘मरें तुम्हारे दुश्मन.’’
न दोनों ने पास के एक शानदार रैस्टोरैंट में खाना खाया. ‘‘घर चलोगी मेरे साथ? कंपनी का क्वार्टर है.’’
‘‘अब हम पतिपत्नी नहीं रहे कानून की दृष्टि में.’’
‘‘और दिल की नजर में? क्या कहता है तुम्हारा दिल.’’
‘‘शादी करोगे?’’
‘‘फिर से?’’
‘‘कानून, समाज के लिए.’’
‘‘शादी ही करनी थी तो छोड़ कर क्यों गई थी,’’ देव ने कहा.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन